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22 जनवरी 2011

हरियाणा में जस्टिस पद्मनाभम कमेटी की सिफारिशें लागू

जस्टिस पद्मनाभम कमेटी की सिफारिशों को प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है। ऑल इंडिया जज एसोसिएशन की मांग पर कमेटी ने सरकार से मांगों को मानने की सिफारिश की थी। इस मामले में हरियाणा न्यायिक अधिकारी एसोसिएशन की अध्यक्ष तथा अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. नीलिमा शांगला ने सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी कर एसोसिएशन का पक्ष रखा था।
एसोसिएशन ने बताया कि प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये अदालत के द्वारा प्राप्त की गई राजस्व फीस व जुर्माना के एवज में प्राप्त करती है। उसका 10 प्रतिशत भी अदालतों में खर्च नहीं होता। सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. शांगला की दलीलों को सही पाया। सर्वोच्च न्यायालय ने अदालतों से प्राप्त होने वाले राजस्व का कुछ हिस्सा अदालतों को देने को कहा।
न्यायाधीश डॉ. नीलिमा शांगला ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने एलएलएम की डिग्री धारक न्यायिक अधिकारियों को तीन इंक्रीमेंट देने की सिफारिश की है। पीएचडी करने वाले न्यायिक अधिकारियों को छह इंक्रीमेंट देने की बात चल रही है। न्यायिक अधिकारियों को कैशलैस मेडिकल सुविधा दी गई है। इसके तहत सरकारी अधिकारियों की तरह ही उन्हें व उन पर निर्भर माता-पिता व अविवाहित बच्चों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा मिलेगी। न्यायिक अधिकारी दिल्ली, चंडीगढ़, पंचकूला व मनीमाजरा के बेहतर अस्पतालों में निशुल्क चिकित्सा सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। सरकार सीधे तौर पर अस्पताल को राशि का भुगतान करेगी। एक अन्य सुविधा में कार लोन की सीमा पांच लाख से बढ़कर आठ लाख रुपये की गई है। मकान बनाने के लिए मिलने वाली राशि के अंतर्गत 60 माह के वेतन के बराबर लोन दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने व्यय नियंत्रण संबंधी एलाउंस, एलटीसी, मेडिकल भत्ता, फर्नीचर, आवासीय कार्यालय को व्यवस्थित करने के लिए भत्ता व अन्य भत्तों को लागू किया गया है(दैनिक जागरण,कुरुक्षेत्र,22.1.11)।

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