लंबे इंतजार के बाद सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जातियों के छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृति योजना संशोधित कर दी है। अब अनुसूचित जाति के उन छात्रों जिनके माता-पिता की आय दो लाख रुपए प्रति वर्ष है वह भी इस योजना का फायदा उठा सकते हैं।
पहले यह आय सीमा प्रति वर्ष एक लाख थी। योजना को संशोधित करके सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने यूपीए सरकार की घोषणापत्र में शामिल वादे को भी पूरा कर दिया है। मंत्रालय की सबसे पुरानी इस योजना से अब तक ४० लाख अनुसूचित जाति के छात्रों को फायदा मिला। इस योजना को पिछली बार अप्रैल २००३ में संशोधित किया गया था। अधिक से अधिक छात्रों को इसका लाभ देने के लिए सरकार लंबे समय से इस योजना को संशोधित करने की योजना बना रही थी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट में इस मंत्रालय का बजट ८० फीसदी बढ़ा दिया था। मंत्रालय का पूरा बजट २५०० करोड़ का था जिसे बढ़ाकर ४५०० करोड़ कर दिया गया। अनुसूचित जाति के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए सरकार ने बजट में १९०० से बढ़ाकर ३७०० करोड़ का प्रावधान किया जिसमें छात्रवृति योजना के लिए केवल १७०० करोड़ दिए गए। वर्ष २००९-१० में इस योजना का बजट ७५० करोड़ था। योजना के संशोधन में देरी होने की वजह पर पूछे जाने पर मंत्रालय का कहना है कि कैबिनेट में संशोधन की मंजूरी लेने से पहले प्रस्ताव पर कई मंत्रालयों से सुझाव मांगे जाते हैं। कई बार इन प्रक्रियाओं में काफी वक्त लग जाता है(प्रतिभा ज्योति,नई दुनिया,दिल्ली,12.1.11)।
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