वल्लभनगर स्थित पशुधन अनुसंधान केन्द्र के बोर्ड पर कालिख पोतने का मामला सामने आने के बाद महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ गया है।
पशुधन अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर तथा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय नवानिया के वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के अधीन चले जाने के बाद विवाद की शुरुआत हुई थी। अनुसंधान केंद्र के बोर्ड पर कालिख पोतने को लेकर एमपीयूएटी के कर्मचारियों ने दूसरे विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों पर आशंका जताई है।
आरसीए के छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित तिवारी, शैक्षणोत्तर कर्मचारी संघ के महामंत्री माधवलाल जाट आदि ने आरोप लगाया कि राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद दोनों विश्वविद्यालयों के बंटवारे के चलते बोर्ड पर कालिख पोतने का कृत्य किया गया है।
रोष व्याप्त कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
क्या है विवाद की जड़
एमपीयूएटी की इकाई पशुधन अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर एवं पशु चिकित्सा व पशुविज्ञान महाविद्यालय नवानिया वल्लभनगर को वेटरनरी विवि बीकानेर के अधीन किया गया था। दोनों केन्द्रों की चल अंचल संपत्ति व कर्मचारियों को भी विधेयक के अनुसार वेटरनरी विवि बीकानेर के अधीन मान लिया गया।
उल्लेखनीय है कि दोनों विश्वविद्यालयों के बंटवारे के चलते 34 कर्मचारियों को एमपीयूएटी उदयपुर व वेटरनरी विवि बीकानेर दोनों विश्वविद्यालयों से वेतन मिलता रहा था(दैनिक भास्कर,उदयपुर,4.1.11)।
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