प्याज और सब्जियों की महंगाई व पेट्रो पदार्थों की कीमतें बढऩे के बीच पंजाब विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के लिए खाने-पीने की वस्तुओं पर सबसिडी देने की घोषणा की है। यह घोषणा आज कुलपति प्रो. आरसी सोबती ने ऐसे मौके पर की है जब पीयू को पोटेंशियल फार एक्सीलेंस का दर्जा देने के उद्देश्य से निरीक्षण को यूजीसी का एक दल पंजाब विश्वविद्यालय आया हुआ है। कुलपति प्रो. सोबती ने स्टूडेंट सेंटर पर स्थित सभी दुकानों पर खाने-पीने की वस्तुओं पर सबसिडी देने की घोषणा की और कहा कि इन दुकानों से हर साल जो 10 फीसदी बढ़ा हुआ किराया आया करेगा उसे छात्रों को दी जाने वाली सबसिडी के रूप में खर्च किया जायेगा। अगर छात्रों को सबसिडी के रूप में और पैसा दिये जाने की जरूरत पड़ी तो वह भी दिया जायेगा। इसके साथ ही कुलपति ने छात्रों की हर 10 फीसदी बढऩे वाली फीस भी नहीं बढ़ाने की बात कही है। छात्रों के साथ दुर्घटना व किसी अप्रिय घटना की स्थिति में दिये जाने वाले बीमा कवर का आधा प्रीमियम भी अब पीयू खुद भरेगी।
इसके पहले आज प्रात: कुलपति प्रो. सोबती ने यूजीसी की टीम के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी। कुलपति ने 50 करोड़ रुपये में से 35 करोड़ रुपये विश्वविद्यालय के पूर्णरूपेण विकास पर खर्च किये जाने की प्रजंटेशन दी और 15 करोड़ की लागत से पंजाब विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा मिलकर किये जाने वाले दो बड़े प्रोजेक्टों पर खर्च किये जाने की भी प्रस्तुति दी। इनमें से एक प्रोजेक्ट पंजाब के मालवा क्षेत्र में अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहे उर्वरकों व कीटनाशकों के अध्ययन पर केंद्रित होगा जबकि दूसरा प्रोजेक्ट हिमाचल के बद्दी-बरोटीवाला में उद्योगों की वजह से हो रहे पर्यावरण व जैव विविधता के नुकसान के अध्ययन से संबंधित होगा। कुलपति ने अपने प्रजेंटेशन को चार भागों में बांट रखा था। उनका फोकस मुख्यत: पर्यावरण, जनस्वास्थ्य और विकास पर रहा। बताया जाता है कि बीच में (प्रस्तुति) सवाल-जवाब का दौर भी चला। यूजीसी टीम के एक सदस्य ने कुलपति की प्रस्तुति में रखे गये प्रोजेक्टों को केंद्रित न होने की बात उठायी जिससे स्थिति बड़ी विचित्र-सी हो गयी मगर तभी दल के एक अन्य सदस्य ने प्रस्तुति की सराहना की और कहा कि यह रपट एकदम केंद्रित है और सारे मुद्दे एकदम स्पष्टï हैं। यूजीसी टीम को हालांकि मीडिया से बातचीत का मौका नहीं दिया गया। इसी बीच यूजीसी की टीम के समक्ष एनएसयूआई के सन्नी मेहता ने छात्रों के मुद्दे रखते हुए कहा कि आज शिक्षा आम आदमी के बूते से बाहर की बात होती जा रही है। सेल्फ फाइनांस के नाम पर कई कोर्सों में भारी भरकम फीस वसूल की जा रही है।
(डॉ. जोगिन्द्र सिंह,दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,10.1.11)
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