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11 जनवरी 2011

मध्यप्रदेशःधर्म व कला से शुरू होगा हिंदी विश्वविद्यालय

प्रदेश में हिंदी विश्वविद्यालय के गठन की कवायद पूर्ण हो गई है। राज्य शासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने प्रदेश में स्थापित होने वाले हिंदी विश्वविद्यालय के नियम-परिनियम फायनल कर विधेयक का स्वरूप दे दिया है। भोपाल में खुलने वाले इस विश्वविद्यालय का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की पुरजोर सिफारिश समिति ने की है। अगले सत्र में यह विधेयक को मंजूरी के लिए विधानसभा में पहुंच जाएगा। हिंदी विवि की स्थापना के प्रस्ताव पर अंतिम विचार के लिए उप समिति की बैठक राजधानी में सोमवार को आयोजित की गई। स्वराज भवन में आयोजित इस बैठक में समिति के चार सदस्यों ने विवि की स्थापना के लिए अधिनियम और कामकाज के नियमों को अंतिम रूप दिया। उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने सदस्यों के साथ अंतिम विचार विमर्श कर इन नियमों को विधेयक में तब्दील कर दिया। समिति ने बैठक में इसके स्थापना के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, कुलपति की नियुक्ति, नामकरण, वित्तीय खर्च आदि पर विचार किया। सूत्रों के अनुसार समिति ने एक स्वर में इस विवि का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी के नाम पर करने का निर्णय लिया है। नामकरण के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय व स्वामी विवेकानंद के नाम का भी प्रस्ताव था। समिति ने अपनी सिफारिश के साथ नामकरण के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया है। बैठक में उपसमिति के सदस्य के रूप में वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक, जयपुर के मोहनलाल छीपा, प्रोफेसर मधुकर श्याम चतुर्वेदी, रामेश्र्वर मिश्र पंकज एवं उच्च शिक्षा आयुक्त राजीव रंजन उपस्थित थे। 

75 करोड़, 146 पद
समिति ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 75 करोड़ रुपए का वित्तीय आंकलन किया है। इसमें से 70 करोड़ रुपए का खर्च प्रथम चरण में भवन निर्माण, फर्नीचर एवं अन्य अद्योसंरचना पर होगा। जबकि पदों व अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए पांच करोड़ रुपए का वार्षिक बजट मांगा गया है। विवि के विधिवत कार्य संचालन के लिए कुलपति, कुलसचिव सहित कुल 146 पदों को मंजूरी दी गई है। 

धर्म व कला से होगी शुरूआत
हिंदी के प्रचार प्रसार और इंजीनियरिंग, मेडीकल सहित तमाम व्यावसायिक पाठ्यक्रम यह विवि संचालित करेगा। विवि का प्रारंभ धर्म विज्ञान, भाषा व साहित्य, समाज विज्ञान एवं कला, विज्ञान एवं वाणिज्य व प्रबंधन के साथ होगा। इनमें दर्शन शास्त्र, ज्योतिर्विज्ञान, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति व अर्थशास्त्र, गणित, भूगर्भ शास्त्र, भौतिक शास्त्र आदि का अध्ययन कराया जाएगा। दूसरे चरण में अभियांत्रिकी, आयुर्विज्ञान, भेषज विज्ञान, कृषि, विधि व विज्ञान के अन्य विषय खोले जाएंगे(दैनिक जागरण,भोपाल,11.1.11)।

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