नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल के लिए शैक्षणिक वर्ष 2011-12 में विभिन्न विभागों के स्नातकोत्तर में 39 छात्र-छात्राओं का नामांकन होना है। इस खबर से जहां शिक्षकों और विद्यार्थियों में उत्साह है वहीं कालेज व अस्पताल में संसाधनों की कमी गिनाते हुए इन्होंने पीजी पढ़ाई की गुणवत्ता पर ही सवाल खड़े किये हैं। विभागाध्यक्षों का कहना है कि अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन व अल्ट्रा साउंड मशीन खराब पड़ी है। प्लेट के अभाव में एक्स-रे मशीन अक्सर काम ही नहीं करती। मरीजों का एक्स-रे हो तभी तो विद्यार्थियों के लिए केस स्टडी संभव होगा। अस्पताल में ईको भी नहीं होता। मेडिसिन विभाग के लिए आईसीयू बेहद जरूरी है। ब्रेन मैपिंग के लिए ईजीजी मशीन है ही नहीं। डायलेसिस मशीन पीजी स्टूडेंट के लिए बेहद जरूरी है। लैब को भी यंत्रों से लैस तथा अत्याधुनिक किये जाने की आवश्यकता है। विभागाध्यक्षों का कहना है कि यह तमाम बुनियादी संसाधन पीजी छात्रों के लिए अतिआवश्यक हैं तभी यह गुणात्मक शिक्षा पा सकेंगे। इनका आरोप है कि संसाधन मुहैया कराने के लिए प्राचार्य व अधीक्षक को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन अब तक नई मशीन खरीदने एवं खराब की मरम्मत कराने का प्रयास प्रक्रिया में ही है। वहीं मेडिकल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि कालेज में रिसर्च लाइब्रेरी, आनलाइन जरनल, इंटरनेट की सुविधा के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में हर दिन हो रहे नये-नये शोध से अवगत कराने तक की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यार्थियों ने बताया कि कालेज में शिक्षक तो काफी अनुभवी व अच्छे हैं लेकिन जरूरी संसाधनों की बेहद कमी है। नये सत्र में पीजी स्टूडेंट के लिए इन तमाम कमियों को दूर करना एनएमसीएच के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इस पूरे मामले पर अधीक्षक डा. शिव कुमारी प्रसाद ने बताया कि विभागाध्यक्षों से मांगी गई डिमांड पर प्रक्रिया के तहत संसाधन मुहैया कराने का प्रयास जारी है। पीजी स्टूडेंट के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी प्राचार्य की है। इस मद में कालेज को राशि भी मिलती है(दैनिक जागरण,पटना,15.1.11)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।