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15 जनवरी 2011

एनसीईआरटी के सिलेबस में कला और सौंदर्य के पाठ

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने देश के सभी स्कूलों के लिए कला एवं सौंदर्यबोध विषय पर एक विशेष पैकेज तैयार किया है। बच्चों की रचनात्मकता को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी ने पहली से 10वीं कक्षा के बच्चों के लिए कला एवं सौंदर्यबोध पर पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें चित्रकला, थिएटर, कठपुतली, मुखौटा निर्माण, संगीत, नृत्य, बाद्य यंत्रों का उपयोग आदि शामिल है। इस पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए अगले साल तक कला और सौंदर्यशास्त्र विषय में 500 शिक्षक प्रशिक्षकों का समूह तैयार किया जाएगा। इस अभियान में अभिनेता आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर के अंशों को शामिल किया जा सकता है। एनसीईआरटी में कला एवं सौंदर्यबोध संकाय के प्रमुख डॉ. पवन सुधीर ने बताया, परिषद ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर कला एवं सौंदर्यबोध का एक अलग संकाय गठित किया है, जिसका उद्देश्य खेल-खेल में च्च्चों की रचनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुए शिक्षा के चलन को बढ़ावा देना है। सुधीर ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 20 से 25 मिनट की आठ लघु फिल्में तैयार की गई हैं। उन्होंने माना कि च्च्चों में काफी रचनात्मक क्षमता होती है, जरूरी है कि शिक्षक उस स्तर तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि कला एवं सौंदर्यबोध पर पाठ्यक्रम तैयार करते हुए संपूर्ण देश की परिस्थितियों एवं भौगोलिक दशाओं का ध्यान रखा गया है। इस विषय में विभिन्न राज्यों से उनकी राय और सलाह को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल के नेतृत्व में तैयार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में कला एवं सौंदर्यबोध को स्कूलों में एक विषय के रूप में स्थान दिए जाने की सिफारिश की गई थी। एनसीईआरटी कला और सौंदर्यबोध पर शिक्षकों को तैयार करने में फिल्म एवं टीवी अभिनेत्री सुषमा सेठ, कठपुतली विशेषज्ञ दादी पदमजी समेत पूर्वोत्तर राज्यों एवं अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कलाकारों का सहयोग ले रही है(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.1.11)।

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