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30 जनवरी 2011

बिहारःसंबद्ध डिग्री कॉलेजों के लिए ट्रिब्यूनल

सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालयों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए राज्य सरकार एक ट्रिब्यूनल (प्राधिकार) गठित करने जा रही है । शिक्षा मंत्री पी के शाही ने भी इसके शीघ्र गठन के संकेत दिए हैं । वित्तरहित शिक्षा नीति की समाप्ति के बाद राज्य सरकार ने परीक्षाफल के आधार पर वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को अनुदान देना प्रारंभ किया है । वर्ष 2008 के रिजल्ट के आधार पर राशि भी दी जा चुकी है । अनुदान राशि का भुगतान संबंधित वित्तरहित शिक्षण संस्थानों द्वारा सिर्फ अपने शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को किया जाना है । ऐसे वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में 193 सम्बद्ध डिग्री कालेज भी शामिल हैं जिन्हें राज्य सरकार ने वर्ष 2008 के परीक्षाफल के आधार पर 55 क रोड़ रु पए का भुगतान कि या है । वर्ष 2009 के परीक्षाफल के आधार पर अनुदान देने के लिए भी शिक्षा विभाग ने कालेजों से प्रस्ताव मांगे हैं । पर अनुदान पाने वाले अधिकांश महाविद्यालयों में अनुदान राशि के बंट वारे को लेक र विवाद उठ खड़ा हुए हैं । जनता के दरबार में शिक्षा मंत्री कार्यक्रम में आने ज्यादातर मामले सम्बद्ध डिग्री कालेजों के ही हैं । शिक्षक व कर्मचारियों की शिकायत है कि महाविद्यालय प्रबंधन ने अनुदान मिलने के बाद उन्हें कालेज से हटा दिया है । उनकी जगह पर अपने नाते रिश्तेदारों को बैक डेट में बहाल कर लिया है । उनकी यह भी शिकायत है कि अनुदान राशि के भुगतान में प्रबंधन द्वारा पिक एंड चूज की नीति अपनाई गई है । ऐसी शिकायतें भी आई हैं जिसमें क हा गया है कि भुगतान देने के बाद उनसे आधी राशि प्रबंधन द्वारा ले ली गई है । हर सोमवार को होने वाली प्रधानाचार्यों की बैठक में भी मानव संसाधन विकास विभाग को ऐसी ही शिकायतें मिली हैं । शिकायत करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि खुद प्रधानाचार्य ही हैं । एचआरडी के पूर्व सचिव के के पाठक के पास भी कालेज प्रबंधनों की मनमानी की ऐसी सैकड़ों शिकायतें पहुंची थीं। इसके मद्देनजर ही राज्य सरकार ने ऐसे मामलों के निपटारे के लिए ट्रि ब्यूनल गठित करने का मन बना लिया है। इसका ड्राफ्ट बन रहा है । ट्रिब्यूनल के अस्तित्व में आने के बाद ऐसे सभी मामले अपील के रूप में नवगठित प्राधिकार के समक्ष ले जाए जाएंगे और उसका फै सला मानने के लिए हर पक्ष बाध्य होगा। 

ट्रिब्यूनल के शीघ्र गठन का संकेत 
शिक्षा मंत्री पी के शाही ने जनता के दरबार में ऐसी ही शिकायतों को लेकर पहुं चे लोगों को दिया था। माना जा रहा है कि विभाग इसको लेकर गंभीर है और जल्द ही प्राधिकार के गठन को लेकर फाइल वित्त से होते हुए कैबिनेट की मंजूरी के लिए दौड़ेगी। 

लगातार आईं शिकायतें 
महाविद्यालय प्रबंधन ने अनुदान मिलने के बाद शिक्षक -कर्मियों को कॉलेज से हटाक र नाते रिश्तेदारों को बैक डेट में बहाल किया। राशि के भुगतान में प्रबंधन ने पिक एंड चूज की नीति अपनाई भुगतान देने के बाद उनसे आधी राशि प्रबंधन ने ले ली। 

नहीं चलेगी मनमानी 
कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ सभी मामले अपील के रूप में नवगठित प्राधिकार के समक्ष ले जाए जाएंगे और उसका फैसला मानने के लिए हर पक्ष बाध्य होगा(हिंदुस्तान,पटना,30.1.11)।

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