राज्य कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे अब किसी भी कर्मचारी को उसके प्रमोशन में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं मिलेगा। कोर्ट के फैसले पर अधिकतर कर्मचारियों ने खुशी व्यक्त की है। उनका कहना है इससे आपस में प्रतिस्पर्धा की भावना आएगी। जो विभाग के विकास में काफी सहायक होगा। वहीं कुछ कर्मचारियों ने इसका विरोध भी किया है।
वरिष्ठ कर्मचारी नेता टीपी मिश्र ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा सरकार अपने हित के लिए आए दिन नई-नई नीति बनाती है, जिसका समाज में बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रमोशन में आरक्षण उसी में एक है। भर्ती में तो आरक्षण दिया ही जाता है। परंतु प्रमोशन में भी वही नीति अपनाने से वरिष्ठों को हताश करने वाला होता है।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर कई फैसले वर्षो से कोर्ट में लंबित हैं। इस आदेश से सबके लिए नई राह दिखेगी। इससे दूसरे मामलों में भी जल्द फैसला आने की उम्मीद बंधी है। उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हरिकांत शुक्ल ने कहा प्रमोशन में आरक्षण का कोई औचित्य ही नहीं है। इससे कर्मचारियों में कटुता बढ़ती है। कोर्ट का फैसला काफी सराहनीय है। इससे हर कर्मचारी अपना काम पूरी ईमानदारी से करेगा, जिससे उनके साथ विभाग का भी भला होगा। वहीं कर्मचारी नेता राम आसरे ने कहा कोर्ट के आदेश पर कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। लेकिन कई कर्मचारी ऐसे होते हैं जिनको आगे बढ़ने का बराबर मौका नहीं मिल पाता। आरक्षण से उनको काफी सहायता मिलती है। शिक्षक नेता अनुपम परिहार ने कहा आरक्षण से व्यक्ति की योग्यता पर प्रश्न चिह्न लगता है। समाज में हर व्यक्ति को अपनी योग्यता के बल पर आगे बढ़ना
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