इन दिनों महानगर के कई इंटरनैशनल स्कूल साल भर की फीस एडवांस लेने लगे हैं। चूंकि यह फीस लाखों में होती है सो अभिभावक मौका मिलते ही बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर देते हैं। लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं होता क्योंकि स्कूल किसी भी हालत में फीस वापस नहीं करते। ऐसे हजारों अभिभावकों को हाईकोर्ट ने नए साल का तोहफा दिया है।
10 दिसंबर 2010 को दिए आदेश में हाईकोर्ट ने बीडी सोमानी स्कूल मैनेजमेंट से कहा है कि वह पेरेंट्स नीलेश मेहता और सुनिल सेक्सरिया को एडवांस में जमा की गई पूरी फीस ब्याज के साथ वापस करे। दोनों अभिभावकों के बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। स्कूल ने 2007-08 के सत्र में ही 2008-09 की एडवांस फीस (3.1 लाख रु) जमा कर ली। मई 2008 में दोनों ने बच्चों को दूसरे स्कूल में प्रवेश दिलवा दिया। कई बार आग्रह किए जाने के बावजूद स्कूल ने पैसा लौटाने से मना करते हुए महज 25 हजार रु वापस करने की पेशकश की। इसके बाद दोनों ने 'फोरम फॉर फेयरनेस इन एजुकेशन' के जरिए 2009 में हाईकोर्ट की शरण ली।
जस्टिस जे एन पटेल और जस्टिस बी आर गवई ने पिछले महीने के अपने निर्णय में स्कूल मैनेजमेंट को दो हफ्ते में यह फीस कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। स्कूल को साथ में 18 प्रतिशत की दर से ब्याज भी जमा करना होगा(नवभारतटाइम्स,मुंबई,7.1.11)।
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