संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा से बीएड सत्र की हुई छीछालेदर के चलते अलग बीएड विश्वविद्यालय बनाने पर विचार शुरू हुआ है। शनिवार को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएम) में हो रहे कुलपति सम्मेलन में इस पर मंथन होगा। यहां अकादमिक भवन में प्रस्तावित सम्मेलन में प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के कुलपति भागीदारी करेंगे। कुलपति प्रो. हर्ष कुमार सहगल ने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों द्वारा बीएड की अलग-अलग प्रवेश परीक्षा कराने को लेकर फिलहाल रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है। अब प्राविधिक शिक्षा की तरह अलग से शिक्षा प्रशिक्षण विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव आया है। इस विश्वविद्यालय के अधीन बीएड, एमएड, बीपीएड, एमपीएड की प्रवेश परीक्षा, पाठ्यक्रम व मुख्य परीक्षाएं हो सकती हैं। शासन की सहमति बने तो बीटीसी को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। सम्मेलन में सभी विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम लागू करने, सेमेस्टर प्रणाली के अनुरूप पाठ्यक्रम विभाजन, संयुक्त पीएचडी प्रवेश परीक्षा, सत्र विनियमितीकरण, समय से परीक्षा के साथ समान शुल्क लागू करने के मुद्दे पर भी विचार होगा। बताया गया कि कुछ विश्वविद्यालयों में स्ववित्तपोषी व अनुदानित पाठ्यक्रमों के परीक्षा शुल्क में अंतर है। विश्वविद्यालय विभिन्न कक्षाओं में अलग-अलग दरों पर शुल्क ले रहे हैं। अंकपत्र, प्राविजनल, डिग्री, नामांकन, प्रमाणपत्र की द्वितीय प्रति सहित दूसरे मदों में भी शुल्क दरें समान नहीं हैं। इस पर मंथन होगा कि समान पाठ्यक्रम व समान परीक्षा के चलते सभी विश्वविद्यालयों का शुल्क भी कैसे समान हो सके? सम्मेलन में विश्वविद्यालयों की प्रशासनिक दिक्कतों के साथ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होनी है(दैनिक जागरण,कानपुर,28.1.11)।
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