शिक्षा निदेशालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी ईडब्लूएस कोटे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। निदेशालय ने स्कूलों को निर्देश दिए थे कि स्कूल ईब्लूएस का पूरा ब्यौरा स्कूल के बोर्ड में लगाए। इसके साथ ही स्कूलों को समय-समय पर जोन शिक्षा कार्यालय में भी इसकी रिपोर्ट भेजे। लेकिन गरीबों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। वहीं स्कूल प्रबंधन लगातार आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।
दिल्ली में चल रहे नर्सरी दाखिला प्रक्रिया में गरीबों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है। बड़े नामी स्कूल गरीबों को पूरी तरह से घुमा रहे हैं। स्कूल अभिभाकवकों को सीटों की जानकारी नहीं दे रहे हैं। योगेश कुमार ने बताया कि सेंट जोसेफ स्कूल अब भी सीटें नहीं होने की बात कर रहा है। अभिभावकों को फोन करके सीट खरीदने के लिए कहा जा रहा है। निजी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि सरकार स्कूलों को पूरा पैसे नहीं देती है। मजबूर होकर स्कूलों को फीस बढ़ानी पड़ती है। वहीं शिक्षा निदेशालय का कहना है कि स्कूलों पर निगरानी रखी जा रही है। स्कूल में ईडब्लूएस के लॉटरी ड्रा निदेशालय के अधिकारियों की निगरानी में होगी। निदेशालय की ओर से इन बच्चों को किताबें और स्कूल यूनीफॉर्म दिए जाएंगे। निदेशालय ने कहा कि प्रत्येक स्कूल के ईडब्लूएस के सीटों का पूरा ब्यौरा रखा जा रहा है।
स्कूलों को गरीबों के लिए आरक्षित २५ प्रतिशत देने ही है साथ ही इन बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ ही शिक्षा देनी है। कोई भी स्कूल इनके लिए अलग से शिफ्ट या कक्षाएं तैयार नहीं करेगा। स्कूलों को डिस्प्ले बोर्ड में ईडब्लूएस के साटों की संख्या, फॉर्म जमा करने की तारीख, लॉटरी की तारीख, चुने गए छात्रों के नाम की सूची, वेंटिंग लिस्ट की सूची लगानी है। स्कूल को लॉटरी की पूरी सीडी तैयार करके भी शिक्षा विभाग में देनी होगी। गरीबों को दाखिला देने के लिए स्कूल आय प्रमाण पत्र, बीपीएल राशन कार्ड को देख सकते हैं। इसके अलावा स्कूल कोई अन्य कागजात की मांग नहीं कर सकते हैं। शिक्षा निदेशालय स्कूलों को स्पष्ट कर दिया है कि स्कूल शिक्षा के अधिनियम का उल्लंघन नहीं कर सकते। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.सी. जैन का कहना है कि २५ प्रतिशत का पूरा विरोध किया जाएगा। सरकार इसमें भी राजनीति कर रही है। वह आरक्षण के माध्यम से वोट बैंक तैयार कर रही है जिसका सभी स्कूल प्रबंधन विरोध करेगा(नई दुनिया,दिल्ली,22.1.11)।
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