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29 जनवरी 2011

यूपीःहोम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी भर्ती के पद से ही रिटायर होने को मज़बूर

प्रदेश के ज्यादातर होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को मलाल है कि वह जिस पद पर भर्ती हुए, उन्हें वहीं से सेवानिवृत्त भी होना है। ऐसा नहीं कि उनमें कोई खोट हो बल्कि सेवा की नियमावली ही ऐसी है कि होम्यो चिकित्सक संवर्ग के स्वीकृत 1610 पदों में से मात्र 74 को ही जिला चिकित्साधिकारी अथवा संयुक्त निदेशक बनने का मौका मिल पाता है। नीति में बदलाव न होने से सरकारी सेवा में अच्छे चिकित्सक आने से कतराने लगे हैं। यहीं वजह है कि सूबे में 350 से अधिक चिकित्साधिकारियों के पद अभी रिक्त हैं। होम्योपैथी चिकित्सा से सरकारी सौतेले व्यवहार का अंदाज सरकारी होम्यो चिकित्सालयों की स्थिति देखकर भी लगाया जा सकता है। जहां न स्टाफ पूरा है और संसाधनों का भी भारी टोटा है। उधर, होम्यो चिकित्सा शिक्षा के हालात भी कमोबेश ऐसे ही है। होम्यो चिकित्सा सेवा में आने वाले चिकित्सकों की सबसे बड़ी समस्या संवर्ग नियमावली में कोई राहत न होना। एलोपैथिक चिकित्सकों को चार वर्ष की सेवा पर प्रोन्नति मिलना तय है, जबकि होम्यो चिकित्सकों के लिए ऐसा नहीं है। उनकी प्रोन्नति की सीढ़ी भी जिला चिकित्साधिकारी के 70 व संयुक्त निदेशक के दो पदों तक ही सीमित है। यानि 96 फीसदी होम्यो चिकित्साधिकारियों को अपने मूल पद से ही सेवानिवृत होना पड़ता है। इनसे बेहतर हालात तो होम्यो चिकित्सा शिक्षा से जुड़ने वालों के है। इस संवर्ग में 410 पदों में से कम से कम सौ लोग रीडर अथवा प्रोफेसर तक प्रोन्नति पा लेते हैं। नतीजतन होम्योपैथिक निदेशक का पद भी होम्यो चिकित्सा शिक्षा संवर्ग के खाते में चला जाता है। यहां वेतनमान विसंगति होम्यो चिकित्सकों की प्रोन्नति मेंआड़े आती है। वेतन अधिक होने से सात प्राचार्यो में से कोई एक निदेशक बन पाता है। 1981 में अलग निदेशालय स्थापित होने के बाद कोई होम्यो चिकित्साकारी संयुक्त निदेशक पद से आगे नहीं बढ़ सका है। प्रांतीय होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डा.सुधांशु दीक्षित बताते है कि संवर्ग नियमावली में संशोधन न होने से ही होम्यो चिकित्साधिकारी पद पर तैनात व्यक्ति 30 वर्ष सेवा करने के बाद भी उसी पद से सेवानिवृत हो जाता हैं। इस बारे में कई बार मंत्री व उच्चाधिकारियों से प्रतिनिधिमंडलों के मिलने के बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है। उधर, निदेशक डा. बीएन सिंह का कहना है कि संवर्ग नियमावली संशोधन का प्रस्ताव शासन के पास विचाराधीन है। उम्मीद है जल्द ही फैसला होगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.1.11)।

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