अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा का अधिकार देने वाला कानून (आरटीई) लागू करने के बाद केंद्र सरकार अब नर्सरी की पढ़ाई सुनिश्चित कराने में जुट गई है। आरटीई के तहत छह से चौदह साल के बच्चों (पहली से सातवीं कक्षा) को कवर किया गया है इसलिए यह सवाल उठ रहे थे कि इससे पूर्व यानी नर्सरी शिक्षा का क्या होगा। इसे हल करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से कहा गया है कि आंगनवाड़ी केंद्रों में छोटे बच्चों को पढ़ाने-लिखाने का प्रबंध करे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मद में बतौर आर्थिक मदद उसे दो हजार करोड़ रुपये दे दिए हैं। करीकुलम, पुस्तक आदि की व्यवस्था में भी मंत्रालय आवश्यकतानुसार सहयोग देगा।
आंगनवाड़ी केंद्रों में होगी पढ़ाई, शिक्षक भी नियुक्त होंगे
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा तीरथ ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभी यह योजना आरंभिक चरण में है। संबद्ध मंत्रालयों और राज्य सरकारों से बातचीत कर इसकी रूपरेखा बनाई जाएगी ताकि कारगर सिद्ध हो। इस अवधारणा के पीछे मुख्य वजह छोटे शहरों, गांवों के उन बच्चों को गुणवत्ता युक्त नर्सरी शिक्षा प्रदान करना है जो संसाधनों के अभाव के चलते इससे वंचित रह जाते हैं। सरकार का मानना है कि होनहार भावी पीढ़ी तैयार करने के लिए नींव को मजबूत करना जरूरी है।
पहले ही काम के बोझ से दबी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर नई जिम्मेदारी डालने से इनकार करती तीरथ ने कहा कि केंद्रों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। सरकार की कोशिश होगी प्रत्येक केंद्र पर कम से कम एक शिक्षक अवश्य हो ताकि महिला एवं बाल विकास की अन्य योजनाएं बाधित न हो सकें। जहां आंगनवाड़ी केंद्र बेहद छोटे हैं, कच्चे हैं या बहुत दूर हैं वहां मोबाइल वैन के मार्फत बच्चों की शिक्षा और खानपान की व्यवस्था की जाएगी। देश में लगभग 16 लाख आंगनवाड़ी केंद्र हैं(अमर उजाला,दिल्ली,30.1.11)।
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