सामाजिक, आर्थिक अथवा भौगोलिक कारणों से स्कूल न जा सके लोगों को शिक्षित करने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड की स्थापना का फैसला किया है। राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षण संस्थान (एनआईओएस) की तर्ज पर स्थापित होने वाले बोर्ड के लिए एकमुश्त दो करोड़ रुपये अनुदान देने का प्रस्ताव किया है। संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया है, जिसे जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित बोर्ड अन्य औपचारिक विद्यालय बोर्ड की तरह होगा तथा यह एनआईओएस की तरह दूरस्थ एवं मुक्त विद्यालयी प्रणाली के माध्यम से प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तक के छात्रों को सामान्य एवं व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करेगा। सामान्य एवं व्यावसायिक विषयों में नामांकित छात्रों को शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान करने के बाद बोर्ड उनकी परीक्षा लेगा तथा मूल्यांकन बाद प्रमाण पत्र देगा। प्रस्ताव के मुताबिक सूबे में लागू हो रहे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं सर्व शिक्षा अभियान की हुनर-औजार जैसी परियोजनाएं इस संस्थान के माध्यम से कार्यान्वित होंगी। बोर्ड मानव संसाधन विकास विभाग एवंअधीनस्थ संस्थाओं के कार्यक्रमों का संचालन भी करेगा। प्रस्तावित बोर्ड का संचालन सामान्य परिषद एवं कार्यकारी बोर्ड के माध्यम से होगा। विभाग का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर एनआईओएस विश्व के सबसे बड़े मुक्त विद्यालयी शिक्षण संस्थान के तौर पर उभर कर आया है मगर उसके बूते अकेले बहुभाषीय व क्षेत्रीय विविधताओं वाले देश में सभी वर्गो की आवश्यकताओं की पूर्ति संभव नहीं है। इस तरह के मुक्त विद्यालयी शिक्षण संस्थान चौदह राज्यों में खुल भी चुके हैं(अवनीन्द्र नाथ ठाकुर,दैनिक जागरण,पटना,21.1.11)।
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