उर्दू को और समृद्ध करने की बातें तो बहुत हुईं, लेकिन हासिल कुछ खास नहीं हुआ। फिर भी सरकार अब उसको और बुलंदी पर ले जाने के लिए एक नया सपना लेकर आई है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने अब उर्दू को भी व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने का जरिया बनाने की बात कही है। इतना ही नहीं, उर्दू शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए वे राज्यों के सामने इस मसले को फिर से उठाएंगे। कपिल सिब्बल ने बुधवार को यहां राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्द्धन परिषद (एनसीपीयूएल) की बैठक में सदस्यों को बताया कि राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा की रुपरेखा को तैयार कर रही है, जिसमें उर्दू को भी व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने का जरिया बनाने का प्रयास किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार की कोशिश छोटे-छोटे पारंपरिक व्यवसायों व उद्योग-धंधों में लगे कारीगरों, दस्तकारों व हस्तशिल्पियों को उर्दू भाषा में व्यावसायिक तालीम दिलाने की है। मसलन बनारस का साड़ी व्यवसाय, फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग या फिर इसी तरह के अन्य शहरों व कस्बों के पारंपरिक धंधों में लगे लोगों को उर्दू भाषा व्यावसायिक पाठ्यक्रम के जरिए भी हुनरमंद बनाने की योजना है। उनके लिए व्यावसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम उर्दू में भी उपलब्ध होगा। उसमें तालीम हासिल करने पर उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। बैठक में सिब्बल को उर्दू भाषा की तरक्की की राह में अड़चनों से रूबरू होना पड़ा। परिषद के सदस्यों में से एक ने स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की कमी का सवाल उठाया। दूसरे सदस्य ने कहा कि उर्दू शिक्षकों की कमी नहीं है। राज्य सरकारें उनकी नियुक्ति ही नहीं कर रही हैं। सिब्बल ने उन्हें दिलासा दिया कि इसी महीने राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक में वे इस बात को फिर से उठाएंगे। यह बैठक 20 जनवरी को प्रस्तावित है। बैठक में यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय अनुवाद मिशन उच्च शिक्षा के 69 पाठ्यक्रमों का अनुवाद कर रहा है। उनका उर्दू में अनुवाद कराया जाएगा, ताकि उर्दू भाषा के जरिए स्कूली शिक्षा हासिल करने वालों के लिए उच्च शिक्षा की राह आसान हो सके। इतना ही नहीं, उर्दू के संवर्द्धन के लिए इस भाषा में सुलेख लेखन, पेंटिंग व गजल गायन जैसी कला को बढ़ावा दिया जाएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,6.1.11)।
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