अब कुशल मैनेजरों को लेकर इंडस्ट्री को कॉलेज मैनेजमेंट से कोई शिकायत नहीं रहेगी। कंपनी की जरूरतों के मुताबिक कॉलेज प्रबंधक पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (पीजीडीएम) के सिलेबस में बदलाव करने लगे हैं। कॉलेज प्रबंधकों का कहना है कि अगर एमबीए में भी इस तरह के बदलाव की अनुमति मिले तो करियर के लिहाज से स्टूडेंट्स का भविष्य अच्छा हो सकता है।
एचसीएल, विप्रो, टाटा कंसलटेंसी समेत तमाम मल्टीनैशनल कंपनियों के इंडस्ट्री-एकेडिमिया इंटरफेस में यह बात समाने आ रही थी कि मैनेजमेंट कॉलेज स्किल्ड प्रफेशनल तैयार नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन अब इंडस्ट्री की यह शिकायत दूर हो जाएगी। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित कॉलेजों के प्रबंधक स्टडी पैटर्न पर नए प्रयोग कर रहे हैं। इसके तहत इंस्टिट्यूट कंपनी के डिमांड के मुताबिक प्रफेशनल तैयार करने में जुट गया है। पीजीडीएम के सिलेबस में इंडस्ट्री के डिमांड के मुताबिक बदलाव किया जा रहा है। जी. एल. बजाज इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर जनरल शेखर घोष के मुताबिक अकैडमिक और इंडस्ट्री के बीच की खाई को पाटकर ही कुशल प्रफेशनल तैयार किए जा सकते हैं। दूसरी ओर स्टूडेंट्स के प्रफेशनल कोर्स करने का मकसद भी तुरंत कंपनियों में अच्छी जॉब पाना है इसलिए इस मामले में कॉलेज मैनेजमेंट ने लचीला रुख अपनाते हुए इंडस्ट्री के सुझाव पर सिलेबस में फेरबदल किया है। उन्होंने कहा कि पीजीडीएम की तरह एमबीए के सिलेबस में भी फेरबदल करने की छूट कॉलेज मैनेजमेंट को मिले तो इससे एमबीए करने वाले स्टूडेंट्स को भी लाभ होगा।
इधर कंपनी के जरूरतों के मुताबिक पीजीडीएम स्टूडेंट्स को विदेशी भाषा भी सिखाई जा रही हैं। तक्षशिला इंस्टिट्यूट के चेयरमैन डॉ. पी. के. सिंघल ने बताया कि आने वाले 3-4 वर्षों में देश में जापान की करीब 40 कंपनियों की इकाइयां खुलने जा रही है। कंपनियों को भारी संख्या में प्रफेशनल की जरूरत होगी। इंडिया में सस्ता श्रम होने के कारण कंपनियां यहीं प्रफेशनल तैयार करना चाहती है। प्रफेशनल तैयार कराने की जिम्मेदारी एक कंसलटेंसी कंपनी को दी गई है। कंसलटेंस के साथ एमओयू साइन होने के बाद ही कॉलेज में पीजीडीएम स्टूडेंट्स को जापानी लैंग्वेज सिखाई जा रही है।
(नवभारत टाइम्स,ग्रेटर नोएडा,14.1.11)
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