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09 जनवरी 2011

स्कूली शिक्षकों के लिए सामूहिक जीवन बीमा की राह में पेंच

स्कूली शिक्षकों को सामूहिक जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देकर प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षक बनने की तरफ रिझाने के प्रयास में पेंच फंस गया है। वित्त मंत्रालय व केंद्रीय योजना आयोग के नकारात्मक रुख के चलते मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के इस सपने के हकीकत में बदलने के आसार कम हो गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रतिभाशाली छात्रों में शिक्षक बनने की ललक पैदा करने के लिए उन्हें जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजना बनायी थी। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने योजना के मसौदे के साथ उस पर संभावित खर्च का एक प्रस्ताव केंद्रीय योजना आयोग व वित्त मंत्रालय को भेजा था। योजना आयोग तो इस प्रस्ताव को काफी पहले ही गैरजरूरी करार दे चुका है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने भी उस पर आने वाले लगभग 500 करोड़ रुपये के खर्च को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। संबंधित मंत्रालयों से अब भी विचार-विमर्श की गुंजाइश बरकरार है। मालूम हो कि योजना के तहत शिक्षकों के सामूहिक बीमा का प्रीमियम सरकार भुगतान करना चाहती है, जिसका फायदा 60 लाख स्कूली शिक्षकों को मिलता। सरकार लगभग 13 लाख स्कूली शिक्षकों की कमी से जूझ रही है। कपिल सिब्बल ने प्रतिभाशाली लोगों को शिक्षक बनने की तरफ आकर्षित करने के साथ ही उन्हें और मान-सम्मान के मद्देनजर सामाजिक सुरक्षा की योजना बनाई थी। बताते हैं कि योजना के तहत सामूहिक जीवन बीमा योजना के तहत शिक्षक की सेवानिवृत्त पर एकमुश्त पांच लाख रुपए, जबकि नौकरी के दौरान मृत्यु पर दो लाख रुपये भुगतान का प्रस्ताव है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,9.1.11)।

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