पंजाब में इन दिनों स्टडी वीजा सेंटरों की भरमार है, जो न सिर्फ आस्ट्रेलिया,कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया भर में शिक्षा के साथ-साथ वर्क परमिट से लेकर वीजा तक का इंतजाम करते हैं बल्कि लोन दिलाने का प्रबंध भी करते हैं बशर्ते आपके पास बैंक गारंटी के लिए आभूषण, घर या फिर जमीन हो। एजुकेशन वीजा पर विदेश भेजने के लिए पहले टेस्ट लिया जाता है, जिसमें पास होने के बाद विदेश की किसी यूनिवर्सिटी से संबंधित उम्मीदवार को एडमिशन का अधिकृत सर्टिफिकेट दिलवाकर विदेश भेज दिया जाता है। सबसे रोचक पहलू यह कि स्टडी वीजा पर विदेश जाने वाले अधिकांश लोगों की मंशा विदेशी धरती पर पढ़ाई कम और डालर कमाने की अधिक होती है। वहीं अभिभावक भी चाहते हैं कि एक बार उनका बच्चा विदेश चला जाए तो जहां स्टेटस सिंबल बढ़ जाएगा, वहीं बेटे की जिंदगी भी संवर जाएगी। बैंक लोन से लेकर पासपोर्ट बनवाने व वीजा लगवाने का सारा काम एजेंट से मिलकर स्टडी सेंटर वाले खुद करते हैं, बस उन्हें मंुह मांगी रकम मिलनी चाहिए। अमृतसर की बात करें तो पॉश इलाके रंजीत एवेन्यू की दीवारें ऐसे पोस्टरों से पटी पड़ी हैं, जिनमें लिखा है कि जल्द आएं, विदेश जाएं। पिछले दो सालों में स्टडी वीजा पर विदेश भेजने वाले सेंटरों की भरमार हो गई है। तीन साल पहले एजुकेशन वीजा पर मजीठा रोड निवासी राजीव कुमार आस्ट्रेलिया गया था। अमृतसर के एक स्टडी सेंटर ने एजुकेशन लोन पर 13 लाख रुपये एक प्राइवेट बैंक से दिलाए थे। इसके लिए उसके पिता रामकुमार ने अपना घर गिरवी रखा था। तीन साल में रामकुमार को 13 लाख का लोन चुकाने के लिए 15 लाख 75 हजार रुपये देने पड़े। वहीं, राजीव तीन साल तक आस्ट्रेलिया में रहा। वहां वह एक मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करता रहा, लेकिन असलियत में उसने वहां पर रहकर पढ़ाई करने के बजाय नौकरी की। तीन साल बाद लौटा तो करीब 85 हजार आस्ट्रेलियन डालर उसके पास थे। राजीव अब आस्ट्रेलिया के बजाय अमेरिका जाने की सोच रहा है। तरनतारन का गुरदीप सिह इस समय कनाडा में स्टडी कर रहा है। पिता मंगल सिंह ने उसे विदेश भेजने के लिए अपनी तीन किल्ले जमीन गिरवी रखी है। यह जमीन गिरवी रखने वाले वही लोग हैं जिन्होंने उनके बेटे गुरदीप सिंह को विदेश भेजने का बंदोबस्त किया है। मंगल सिंह बताता है कि सारा इंतजाम आफिस वालों ने किया है उसका बेटा तो कभी अकेले दिल्ली भी नहीं गया था। स्टडी सेंटर चलाने वाले गगनदीप सिंह कहते हैं कि उनके पास जो लोग एजूकेशन वीजा के लिए आते हैं, वह उनकी फाइल पढ़ने के बाद उनका टेस्ट लेते हैं। टेस्ट में पास होने पर ही अगली कार्रवाई की जाती है। जिला पासपोर्ट अधिकारी जेएस सिद्धू कहते हैं कि अधिकांश युवा स्टडी वीजा पर विदेश जाने के लिए पासपोर्ट का आवेदन करते हैं। इनकी उम्र 21 से 30 के बीच होती है। इस उम्र के युवाओं की भीड़ पासपोर्ट कार्यालय में निरंतर बढ़ रही है। कई बैंकों के लीगल एडवाइजर एडवोकेट रवि बी महाजन कहते हैं कि बैंक लोन देने के पहले गारंटी लेता है। ऐसे में धड़ाधड़ खुल रहे स्टडी सेंटर गारंटी दिलाने का जिम्मा खुद उठाते हैं, कई मामले डिफाल्टर हो चुके हैं, जिनके केस चल रहे हैं(रमेश शुक्ला सफर,दैनिक जागरण,अमृतसर,31.1.11)।
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