मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट आयुष विवि अब हरिद्वार के बजाय देहरादून में स्थापित होगा। इस बारे में शासन स्तर पर नए सिरे से कवायद शुरू की गई है। मुख्य सचिव ने देहरादून के डीएम को विवि के लिए भूमि तलाशने के निर्देश दिए हैं। सूबे को आयुष प्रदेश बनाने का दावा तो किया जा रहा लेकिन इसे धरातल पर लाने के प्रयासों में बेहद कमी है। आलम यह है कि राज्य गठन को दस साल बाद भी पर अभी तक एक अदद आयुष विवि की स्थापना नहीं की जा सकी है। अब हरिद्वार में प्रस्तावित विवि को ही ले लिया जाए। इस पर होमवर्क वर्ष 2001 में शुरू हुआ। विवि की स्थापना को दस एकड़ भूमि चाहिए। इसके लिए ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रम्हचर्य आश्रम की भूमि प्रस्तावित की गई लेकिन ट्रस्ट ने इस पर अड़ंगा लगा दिया। विवाद के समाधान को सरकार और ट्रस्ट हाइकोर्ट की शरण में गए, यहां फैसला सरकार के पक्ष में रहा। फिर ट्रस्ट ने सुप्रीमकोर्ट की शरण ली, वहां भी जीत सरकार की ही हुई। अब अधिग्रहण की कार्यवाही की जानी थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के आगे जिला प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पाया। जिला प्रशासन ने इस बारे में शासन को अवगत कराया। बताया जाता है कि विरोध करने वालों पकड़ ऐसी है कि शासन के निर्देश पर विभाग ने अपने कदम पीछे खींचना ही मुनासिब समझा। गत अक्टूबर में शासन ने हरिद्वार के डीएम को विवि के लिए नई जगह तलाशने के निर्देश दिए। इस मामले में जिला प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए। अहम बात यह है कि वर्तमान आयुष विवि मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। विभाग की कमान भी सीएम के पास ही है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से विवि स्थापना को कार्यवाही में तेजी लाने के कड़े निर्देश हैं(दैनिक जागरण,देहरादून,28.1.11)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।