टाइम टेबल बनाकर पढ़ने के लिए किताबें लेकर बैठ जाना ही काफी नहीं होता है। इससे ज्यादा जरूरी है कि कम या ज्यादा जितनी देर भी आपने पढ़ाई की है उस दौरान के विषयों को आत्मसात कितना पर पाए हैं। अमूमन ऐसे छात्र, जो नियमित पढ़ाई में विश्वास नहीं रखते और सिर्फ परीक्षा सिर पर आने की स्थिति में ही पुस्तकों की धूल झाड़ते नजर आते हैं, को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है।
कहने को तो १८ घंटे की पढ़ाई होती है पर असल में ध्यान नहीं लगा पाने के कारण अधिकांश बातें याद नहीं रह पाती हैं। चूंकि संपूर्ण कंसंट्रेशन के साथ पढ़ाई करने की आदत नहीं होती है इसीलिए दिमाग और मन भटकाव की स्थिति में रहते हुए चंचल व्यवहार करता है। पुस्तक सामने होने के बावजूद यार दोस्तों, हंसी मजाक अन्यथा अन्य बातें रह रह कर मन में आती हैं और जाहिर है, इससे ध्यान उलझ जाता है। प्रस्तुत लेख में कुछ इस तरह की परेशानियों के निदान के संबंध में आसान से टिप्स देने का प्रयास किया जा रहा है।
* पढ़ाई के प्रारंभिक दिनों में जानबूझकर आसान टॉपिक्स का चयन करना चाहिए। इससे विषय समझने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी और साथ ही साथ दिमाग भी पढ़ाई के प्रति अभ्यस्त होता जाएगा।
* नए और कठिन विषयों की शुरुआत से पहले अपने सहपाठियों अथवा अध्यापकों की मदद से अपने मन में उक्त विषय के प्रति दिलचस्पी जगाने का प्रयत्न करें। इससे विषय का परिचय मिलता है और स्वयं पढ़ाई करने में समझना आसान हो जाता है।
* लिखकर विभिन्न विषयों को समझने का क्रम आमतौर से ध्यान बंटने को रोकने में काफी सहायक माना जाता है।
* ध्यान बांटने वाले तमाम कारक जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर, इंटरनेट, वीडियो गेम्स टेलीविजन आदि से जितनी दूरी बना सकें, उतनी ही आसानी होगी ध्यान केंद्रित करने में।
* हमेशा ताजगी भरे दिमाग और पर्याप्त आराम के बाद ही पढ़ाई के लिए बैठना उपयुक्त होता है। इससे थकान नहीं होती और मुश्किल टॉपिक्स भी सरलता से समझ आने लगते हैं।
* ध्यान केंद्रित करने के लिए चाय या कॉफी अथवा किसी नए प्रकार के सहारे से नुकसान ज्यादा और फायदा कहीं कम होता है।
* सही जगह का ही अध्ययन के लिए चुनाव करना चाहिए। घर का कोई भी ऐसा शांत कोना जहां शोरगुल कम से कम हो तथा टीवी- रेडियो "म्यूजिक की आवाज से बचा जा सके। इस तरह के अध्ययन के लिए उपयुक्तकहा जा सकता है।
* स्टडी टेबल पर आते समय ढेर सारे काम या पढ़ाई का बोझ डालना उचित नहीं है। इससे पढ़ाई में कम और इस मानसिक बोझ पर ध्यान ज्यादा लगा रहता है।
* ब्रह्ममुहूर्त या तड़के सुबह का समय (४ बजे प्रातः) अध्ययन करने की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त कहा जा सकता है। रात भर की नींद के बाद तन-मन और दिमाग में ताजगी होती है और साथ में इस वक्त बिलकुल शांति होती है।
* संपूर्ण दिन एक ही विषय की पढ़ाई करते रहने से दिमागी थकान होनी स्वाभाविक है। इसीलिए तीन विषयों की पढ़ाई समय बांट कर करना अधिक प्रभावी होगा।
* किसी विषय के प्रति दिमाग में फोबिया नहीं पालें और थोड़ा-थोडा पढ़ने से कुछ समय बाद यही विषय सबसे आसान प्रतीत होने लगेगा(अशोक सिंह,नई दुनिया,दिल्ली,31.1.11)।
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