नर्सरी दाखिले के लिए बीते महीने भर से जारी रस्साकशी मंगलवार को स्कूलों द्वारा पहली सूची जारी होने के साथ ही और बढ़ गई। जिनके बच्चों का सूची में नाम आया उनको मानो सारा जहां मिल गया और जिनके बच्चों का नाम सूची में नहीं था उन्होंने स्कूलों पर एक स्वर में कई आरोप मढ़ दिए। पहली सूची जारी होने के बाद अभिभावकों की आंखों आंसू थे लेकिन कुछ को खुशी में छलके आंसू तो अधिकतर को गम में। स्कूलों को नजारा ही ऐसा था कि बड़ी संख्या में अभिभावकों को निराशा हाथ लगी। क्योंकि 100 सीटों में स्कूलों में हजारों आवेदन आए थे। लिहाजा ज्यादातर का नाम सूची से गायब होना भी तय था। लेकिन स्कूलों की मानें तो पहली सूची के बाद अभिभावक दूसरी सूची की उम्मीद बिलकुल भी न करें। क्योंकि स्कूलों ने पहली सूची के साथ ही 20 से 30 बच्चों की पहली प्रतीक्षा सूची भी जारी कर दी है। जिस तरह से दाखिले के लिए मारामारी है उससे पहली सूची मं दाखिला पूरा होना जाना तय है। निराश होने वाले अभिभावकों ने स्कूलों की दाखिला प्रक्रिया पर ही सवाल उठाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि स्कूलों ने दाखिला पहले ही पूरा कर लिया था केवल दिखाने के लिए पहले से दाखिला ले चुके बच्चों की सूची जारी कर स्कूलों ने केवल खानापूर्ति की है। बड़ा सवाल यह है कि अगर ऐसा नहीं होता तो स्कूलों में खुशी मनाने वाले अभिभावकों की संख्या भी अच्छी खासी रहती। डीपीएस में अपने बच्चे का नाम सूची में न आने वाले अभिभावकों ने कहा कि स्कूल ने क्या मापदंड अपनाए उनके समझ से बाहर है। मंगलवार को डीपीएस, मथुरा रोड, आरके पुरम, रोहिणी, माउंट आबू पब्लिक स्कूल, रोहिणी आदि ने सूची जारी की और 20 से 30 बच्चों का नाम अतिरिक्त सूची में डाल दिया है ताकि जो बच्चा दाखिला नहीं लेगा उसके बदले पहली प्रतीक्षा सूची में से बच्चे लिए जा सकें। माउंट आबू पब्लिक स्कूल प्रिंसिपल ज्योति कपूर का कहना है कि उनके यहां कुल सीटों की संख्या 100 है उसमें गरीबी कोटा और मैनेजमेंट कोटा को छोड़कर सामान्य बच्चे के लिए सीट 55 है लेकिन सूची 108 बच्चों की निकाली गई है। डीपीएस की प्रवक्ता पूनम का कहना है कि पहली सूची में सीट संख्याओं के अलावा अतिरिक्त बच्चों का नाम पहले ही डाला गया है ताकि सूची में से दाखिला न लेने वाले बच्चों की जगह उन बच्चों का दाखिला हो सके। दरअसल राजधानी में दिल्ली सरकार ने 1 से 15 जनवरी तक नर्सरी दाखिला के लिए फार्म की बिक्री और जमा करने का समय रखा था व जांच पड़ताल के बाद 1 फरवरी का दिन पहली सूची जारी होने के लिए निर्धारित था। डीपीएस, आरके पुरम के बाहर खड़े अभिभावक सुमित बिष्ट, राकेश साहनी, संजय परीख, मनोरंजन का कहना है कि प्वाइंट सिस्टम को दुरूस्त करने की जरूरत है। प्वाइंट सिस्टम में ऐसी कई श्रेणियां बना दी गई हैं जिससे ज्यादातर अभिभावक दूर हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,2.2.11)।
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