डीयू के वाइस चांसलर प्रो. दिनेश सिंह की ओर से नई योजनाएं पेश करने के बाद सवाल-जवाब का सिलसिला जब शुरू हुआ तो ऐसा लगा जैसे स्टूडेंट्स
की मुराद पूरी हो गई हो। स्टूडेंट्स को पहली बार इस तरह से वीसी से रूबरू होने का मौका मिला और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाते हुए अपनी मन की बात रखनी शुरू कर दी। स्टूडेंट्स ने कॉलेज टीचर्स से लेकर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन किसी को भी नहीं बख्शा। यह बात अलग है कि वीसी की ओर से सवालों का कोई ठोस जवाब उन्हें नहीं मिला और वीसी ने उन्हें आश्वासन ही दिया कि उनकी शिकायतों को दूर करने की पूरी कोशिश की जाएगी।
अरविंदो कॉलेज की एक स्टूडेंट इतने गुस्से में थी कि उसने तेज आवाज में वीसी से पूछा कि क्लास नहीं लेने वाले टीचर्स को सैलरी क्यों दी जाती है? क्या स्टूडेंट्स कॉलेज इसीलिए आते हैं कि उनकी क्लास न हों और क्लास में नहीं आने वाले टीचर्स पर क्या कार्रवाई की जाती है? जवाब में वीसी ने इतना ही कहा कि उन्हें कार्यभार संभाले दो महीने ही हुए हैं और इन सब मसलों को गंभीरता से लिया जा रहा है। लेकिन इस स्टूडेंट का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसे चुप कराने के लिए दूसरे स्टूडेंट आए लेकिन वह यही कहती रही कि उनकी क्लास तो हों।
दयाल सिंह ईवनिंग कॉलेज की नेहा तोमर का सवाल डीयू एडमिनिस्ट्रेशनको सवालों के घेरे में लाता है। नेहा ने वीसी से कहा कि उनके कॉलेज में जर्नलिज्म और बीएलएड के नए कोर्स शुरू होने हैं। यूनिवर्सिटी की इंस्पेक्शन कमिटी ने कोर्स शुरू करने की मंजूरी दे दी है लेकिन यूनिवर्सिटी की ओर से अभी तक कोर्स शुरू करने की इजाजत नहीं दी गई है।
एक तरफ तो आप नए प्रफेशनल कोसेर्ज शुरू करने की बात कह रहे हैं और चाहते हैं कि हर कॉलेज में ऐसे कोर्स हों वहीं दूसरी तरफ जो कॉलेज कोर्स शुरू करना चाहते हैं, उनकी राह में इस तरह की बाधाएं पैदा की जा रही हैं। इसके जवाब में वीसी ने कहा कि यह कॉलेज से जुड़ा मामला है लेकिन वे कॉलेज चेयरमैन और प्रिंसिपल से इस पर जरूर बात करेंगे।
दशकों पुराने कोर्सेज का जिक्र भी सवालों में आया। सेंट स्टीफंस कॉलेज की स्टूडेंट ईना फिरोज ने कहा कि आखिर कब तक पुराने कोर्सेज के साथ चलते रहेंगे? फिलॉस्फी ऑनर्स की इस स्टूडेंट ने कहा कि उनकी मां ने भी यही सिलेबस पढ़ा था और वह भी यही पढ़ रही हैं। क्या डीयू इस तरह से टॉप रैंकिंग हासिल करेगी? इस सवाल के जवाब में वीसी ने कहा कि सेमेस्टर सिस्टम लागू होने जा रहा है और इस सिस्टम से कोर्सेज में बदलाव होगा और स्टूडेंट्स की समस्या दूर होगी।
आईपी कॉलेज की स्टूडेंट निकिता ने टीचर्स की हड़ताल का मसला उठाया और कहा कि रोज-रोज की हड़ताल से स्टूडेंट्स परेशान हो चुके हैं। पढ़ाई होती नहीं और आखिर में सिलेबस पूरा कराने की जल्दी रहती है। सिलेबस को घास काटने की तरह से पढ़ाया जाता है और ऐसी एजुकेशन से किस तरह से स्टूडेंट्स का भला होगा? डीयू में तो अक्सर पढ़ाई पर फुल स्टॉप लग जाता है। इस सवाल पर वीसी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए और इतना ही कहा कि स्टूडेंट्स को यह नहीं लगना चाहिए कि शिक्षा का महत्व कम हो गया है।
देव नगर स्थित श्री गुरुनानक देव खालसा कॉलेज के स्टूडेंट आदर्श ने एडमिनिस्ट्रेशन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह हिंदी पत्रकारिता का स्टूडेंट है और उनके कॉलेज में जरूरी सुविधाएं नहीं है। मौजूदा डीन ऑफ कॉलेजेस प्रो. सुधीश पचौरी से काफी समय पहले इसके बारे में कहा गया था लेकिन पत्रकारिता के स्टूडेंट्स को पढ़ाई का उचित माहौल नहीं मिल पाता है। कॉलेज ऐसी बिल्डिंग में है, जहां पर स्कूल भी चलता है। रामलाल आनंद ईवनिंग कॉलेज के स्टूडेंट ने सेफ्टी का मसला उठाया और कहा कि साउथ कैंपस कॉलेजों में सिक्युरिटी की समस्या गंभीर है। इस पर वीसी ने कहा कि यूनिवर्सिटी के सिक्युरिटी गार्ड्स भी पट्रोलिंग करते हैं और सिक्युरिटी पर और ध्यान दिया जाएगा।
श्यामलाल ईवनिंग कॉलेज के धीरज ने कहा कि बीए प्रोग्राम में सबसे अधिक स्टूडेंट्स एडमिशन लेते हैं लेकिन इस कोर्स में सबसे कम नौकरी मिल पाती है तो इस कोर्स को करने का क्या फायदा? इस पर वीसी ने कहा कि सेमेस्टर सिस्टम में हर कोर्स को सशक्त बनाया जा रहा है और अगर इस कोर्स के स्टूडेंट्स की डिमांड नहीं बढ़ी तो वे खुद को कामयाब नहीं मान सकेंगे(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,1.2.11)।
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