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01 फ़रवरी 2011

अमरीका में भी हैं एक कमरे वाले विश्वविद्यालय

आज के नई दुनिया में धनंजय की रिपोर्ट कहती है कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के आने का भले बेसब्री से इंतजार हो रहा हो लेकिन सैकड़ों विदेशी विश्वविद्यालय ऐसे भी हैं जिनकी "दुकानें" ऊंची तो हैं लेकिन पकवान बड़े फीके हैं। शिक्षा के दुकानदारों ने अमेरिका में एक-एक कमरे में चलने वाले फर्जी विश्वद्यालयों को भी नामचीन विश्वविद्यालयों के रूप में चमका रखा है। शिक्षाविदों को आशंका है कि विदेशी विश्वविद्यालय को आने की अनुमति मिलने के बाद विदेशों के कचरा विश्वविद्यालय भी यहां अपना बाजार न सजा लें। अमेरिका के ट्राइवैली यूनिवर्सिटी के छात्रों के पांवों में रेडियो आईडी पहनाए जाने की घटना ने वहां के दोयम दर्जे के विश्वविद्यालयों के "चरित्र" का भंडाफोड़ कर दिया है।


भारत के जो छात्र अमेरिका के फर्जी विश्वविद्यालयों के झांसे में आकर वहां चले गए हैं, उनमें से अधिकतर अब खून के आंसू रो रहे हैं। भारतीय शिक्षाविदों का मानना है कि अमेरिकी शिक्षा पूरी तरह से बाजार के हवाले है। वहां विश्वविद्यालय भारत की तरह नियंत्रित नहीं हैं। उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अनुमति नहीं लेनी पड़ती है।


इसी विषय पर दैनिक जागरण ने सवाल किया है कि रेडियो टैग पहनाने वालों को भारत में विवि खोलने की अनुमति क्यों दी जाएः
सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए देश के दरवाजे खोलने को भले ही आतुर हों, लेकिन उसकी यह कोशिश संसदीय समिति के गले के नीचे नहीं उतर रही है। समिति के कई सदस्यों ने विदेशी शिक्षण संस्थान (प्रवेश नियमन एवं संचालन) विधेयक लाने पर ही सवाल उठा दिया है, जबकि कई सदस्यों ने उसके प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। यहां तक कि कुछ सदस्यों ने अमेरिका में भारतीय छात्रों को रेडियो टैग बांधने का मुद्दा उठाकर भी विदेशी विवि के प्रवेश का विरोध किया। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की सोमवार को हुई बैठक में विदेशी शिक्षण संस्थान (प्रवेश नियमन एवं संचालन) विधेयक-2010 पर कई सदस्यों ने आपत्ति जताई। बताते हैं कि एक सदस्य ने कहा कि अमेरिका में भारतीय छात्रों की टांगों में रेडियो टैग बांधे गए हैं, फिर भी सरकार उनके लिए दरवाजे खोलने जा रही है। आखिर इसका औचित्य क्या है? कुछ सदस्यों ने यह कहकर विधेयक का विरोध किया कि हार्वर्ड व आक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय तो भारत में आने को तैयार नहीं हैं, बाकी जो आएंगे, क्या गारंटी है कि वे फर्जी न हों। उनका मकसद यहां आकर सिर्फ कमाई करना होगा। लिहाजा उनको यहां आने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। सदस्यों ने यह भी सवाल उठाया कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, जबकि सरकार ने विधेयक में राज्यों से समुचित मशविरा नहीं किया है। एक सदस्य ने कहा कि विधेयक हड़बड़ी में बनाया गया है और उसमें कई खामियां हैं। बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत संसदीय समिति के दूसरे सदस्य भी मौजूद थे।

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