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20 जून 2011

राजस्थान बोर्ड का 10वीं का रिजल्ट: बेटियों से क्रांति इसी को कहते हैं!

जियो बेटियों। शेखावाटी ने यह नारा इस बार हर रिजल्ट में लगाया-सुना। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई, एआई-ईईई, आरमेट सहित सभी रिजल्ट में होनहार लड़कियां छा गईं। परीक्षा कोई भी हो, बेटियां बेटों को काफी पीछे छोड़ गईं।

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स और अब कक्षा दसवीं का परिणाम आया तो इनकी हवा में लड़के मानो किसी कोने में दुबक गए। दसवीं बोर्ड की राज्य मेरिट में 29 में से 11 और जिला मेरिट में 15 स्थानों में नौ लड़कियां। इस सामाजिक शैक्षिक क्रांति के गूढ़- गंभीर मायनों को समझने की कोशिश होने लगी है। सबसे पहले 12वीं कॉमर्स के रिजल्ट में 93.89 फीसदी लड़कियां पास हुई और 680 ने फस्र्ट डिविजन हासिल की। जबकि लड़कों का प्रतिशत 93.08 पर रहा।

आर्ट्स के परिणाम में भी बेटियों ने सफलता की ऊंचाई यों को छुआ। 95.51 फीसदी रिजल्ट के साथ बेटियों ने साबित किया कि उनको सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। जबकि लड़कों का रिजल्ट 92.23 प्रतिशत ही रहा। इस रिजल्ट में बेटियों ने घरों और शिक्षण संस्थानों के आंगन में भी खुशियां जमकर बिखेरी। 7761 लड़कियों ने प्रथम स्थान हासिल किया। जबकि 5519 लड़के ही फस्र्ट डिविजन प्राप्त कर सके। बेटियों की प्रतिभा के सामने ऑटर्स के परिणाम में भी लड़के नहीं टिक पाए।

साइंस के परिणाम में बेटियों ने सफलता का परचम लहराकर साफ कर दिया कि इंजीनियरिंग और डॉक्टरी के क्षेत्र में भी उनको कामयाबी का झंडा लहराने से कोई नहीं रोक सकता। बेटियों की सफलता का प्रतिशत 95 तो लड़कों का प्रतिशत 87.50 रहा। रविवार को जारी दसवीं के रिजल्ट में बेटियों की कामयाबी स्टेट और जिला मेरिट के जरिए साफतौर पर देखी जा सकती है। सीबीएसई में भी बेटियों ने 93 फीसदी से ऊपर अंक हासिल किए। आरमेट की राज्य मेरिट में भी श्रीमाधोपुर की बेटी ने छठे स्थान पर रहकर पेरेंट्स का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

एआई-ईईई के रिजल्ट में भी बेटियों ने सफलता की नई कहानी लिखी। जबकि वर्ष 2002 से 2010 के रिजल्ट को देखें तो बेटियों ने कामयाबी की यह कहानी पहली दफा लिखी। इससे पहले बेटों का रिजल्ट ही आगे रहा है। आंकड़े साफतौर पर संकेत दे रहे हैं कि समाज अब बेटियों की शिक्षा को लेकर खासा सतर्क हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। टॉपरों में ज्यादातर गांव-कस्बों से निकले। हालांकि विशेषज्ञ इनकी सफलता के कई कारण मानते हैं। छोटी जगहों में पढ़ाई का बेहतर माहौल विकसित हुआ है। महिला साक्षरता की बढ़ती दर भी बदली तस्वीर को दिखाती है।

प्रतिभाओं ने फिर मनवाया लोहा: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कक्षा दसवीं की जिला मेरिट में होनहार छा गए। 15 स्थानों पर 33 विद्यार्थियों ने मुकाम हासिल किया है। बेटे-बेटियों की सफलता के बाद शिक्षण संस्थाओं व नौनिहालों के घर, पड़ोस में खुशी का माहौल रहा। एक-दूसरे को गुलाल लगाकर खुशियां सेलिब्रेट की गई। शाम को गांव-कस्बों, ढाणियों में जुलूस निकालकर और बैंड-बाजों की धुन पर थिरकते होनहारों ने मेरिट की खुशियां सबके साथ बांटी।


बहुआयामी है ये बदलाव: यह बदलाव कई अर्थो में बहुआयामी है। लड़कियां अपने दमखम पर खुद को साबित करते हुए अपने लिए जगह बना रही हैं। इससे समाज में लड़कियों का सम्मान बढ़ेगा और समाज उन्हें बोझ मानने के कु-चिंतन से मुक्त होगा। यही नहीं, महिला-पुरुष अनुपात में चिंतनीय गैप कम होगा। भले इसमें समय लगे। विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियों की दमदार उपस्थिति से सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव आना भी तय है। इससे समाज में महिला-पुरुष बराबरी की गति भी तेज होगी। - निर्मला परिहार, रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी(दैनिक भास्कर,सीकर,20.6.11)

सोनल के सिर अजमेर का ताज
सावित्री गर्ल्स सीनियर सेकंडरी स्कूल की छात्रा कुमारी सोनल के सिर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की मेरिट में अजमेर का ताज रहा। उसने 569 यानि 94.83 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य की ओवरऑल मेरिट में 13वां स्थान प्राप्त किया है।

अजमेर जिले की मेरिट में उसे सर्वाधिक प्राप्तांकों के आधार पर पहला स्थान मिला है। जिले की मेरिट के प्रथम पंद्रह स्थानों पर 37 विद्यार्थियों ने स्थान पाया है। इनमंे से 21 बेटियां हैं, जबकि लड़कों को मात्र 16 स्थानों से ही संतोष करना पड़ा है।

सर्वाधिक 15 विद्यार्थी अजमेर शहर के हैं, जबकि केकड़ी के 8 तथा ब्यावर के 5 विद्यार्थी जिला मेरिट में स्थान बनाने में कामयाब हुए हैं। सावर और सरवाड़ के 3-3 विद्यार्थी मेरिट में आए हैं। मदनगंज किशनगढ़, मसूदा और पीसांगन के एक एक विद्यार्थी भी स्थान पाने में कामयाब रहे हैं।

मेरा पहला सपना हो गया पूरा: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं में राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट में 13वां और अजमेर जिले की मेरिट लिस्ट में पहला स्थान सावित्री कन्या स्कूल की सोनल त्रिवेदी ने हासिल किया है। सोनल ने 569 अंक हासिल किए हैं।

उसका प्रतिशत 94.83 रहा। भविष्य में इंजीनियर बनना का सपना देखने वाली सोनल कहती है कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट में स्थान मिल जाएगा लेकिन मेरा पहला सपना पूरा हुआ। राज्य में स्थान बनाने के साथ मैं जिले में भी पहले स्थान पर रही हूं।

सोनल इसका सारा श्रेय पेशे से रीजनल मार्केटिंग मैनेजर अपने पिता राजीव त्रिवेदी और शिक्षिका मां इंदिरा यादव को देती है। सोनल भविष्य में इंजीनियर बनना चाहती है। वह कहती है कि यह मेरा सपना है कि मैं इंजीनियर बनकर देश की सेवा करूं, इसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी है। दसवीं में यह मुकाम हासिल करने के लिए भी रोज 4 से 5 घंटे पढ़ाई की। जैसे जैसे आगे बढ़ेंगे, पढ़ाई को लेकर एकाग्रता और बढ़ानी होगी(दैनिक भास्कर,अजमेर,20.6.11)।

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