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20 जून 2011

राजस्थानः1 नंबर मिला तो भी इंजीनियरिंग में दाखिला

दिल्ली के श्रीराम कॉमर्स कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स का कटऑफ इस साल जहां 100 फीसदी तक पहुंच गया है, वहीं राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए एंट्रेस एग्जाम में सिर्फ 3 घंटे का पेपर देना ही काफी है। इस साल राजस्थान प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट (आरपीईटी) में अंतिम 67,990 वीं रैंक वाले छात्र को 120 में से न्यूनतम 1 अंक मिलने पर भी उसे इंजीनियरिंग में सीट आवंटित कर दी जाएगी।

बुधवार को बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, जोधपुर द्वारा आरपीईटी में टॉप-20 स्टूडेंट्स की मेरिट सूची अवश्य जारी की गई है, लेकिन इस साल आरपीईटी देने वाले सभी 67 हजार 990 परीक्षार्थियों को रैंक देकर क्वालिफाई कर दिया गया है। कोटा के नोडल अधिकारी एससी विश्नोई ने बताया कि कोटा से आरपीईटी देने वाले सभी 8 हजार 914 परीक्षार्थी चयनित हुए हैं।

आरपीईटी सूत्रों का कहना है कि सभी परीक्षार्थियों को सिर्फ रैंक दी जा रही है, जिसके आधार पर उन्हें राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेज व ब्रांच मिल सकेगी। इसमें 120 अंकों की लिखित परीक्षा होने के बावजूद कोई पास या फेल घोषित नहीं किया गया है। इसके बावजूद सीटें खाली रही तो काउंसलिंग के बाद कॉलेजों को सीधे प्रवेश का अधिकार दे दिया जाएगा। राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 70 फीसदी सीटें आरपीईटी, 15 प्रतिशत एआई ट्रिपल ई और शेष 15 प्रतिशत मैनेजमेंट कोटा में डोनेशन से भरी जाती हैं।


फिर भी खाली क्यों रह जाती हैं सीटें: मेरिट सूची में शीर्ष रैंक वाले 80 प्रतिशत परीक्षार्थी जेईई और एआई ट्रिपल ई की रैंक से आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में एडमिशन लेकर आरपीईटी की सीट को ड्रॉप कर देते हैं। 2010 में ४७,८४७ सीटों के लिए परीक्षा देने वाले 73 हजार 500 परीक्षार्थियों में से मात्र 21 हजार ने ऑप्शन फॉर्म भरे थे, जिससे करीब 15 हजार सीटें खाली रह गई थी। इस कारण नए प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों को एक साल के लिए सत्र स्थगित रखना पड़ा था। इस साल भी आरपीईटी देने वाले कई स्टूडेंट दूसरे राज्यों में प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज में पहले से सीट पक्की कर चुके हैं। ऐसे में राज्य के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें खाली रहने की संभावना रहेगी(दैनिक भास्कर,जोधपुर,20.6.11)।

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