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20 जून 2011

राजस्थानःप्री बीएड, प्री एमएड में भी कोई नहीं होगा फेल

स बार कॉलेज चयन में चतुराई की तो 5 प्रतिशत अंक वालों का भी बीएड या एमएड में दाखिला हो सकता है। यह पहला मौका है, जब प्री बीएड व प्री एमएड के परिणाम में किसी को फेल घोषित नहीं किया जाएगा। न ही कोई कट ऑफ लिस्ट जारी की जाएगी।

किसी अभ्यर्थी के 0 से 10 प्राप्तांक भी हैं और काउंसलिंग के समय चुने गए कॉलेजों में सीट खाली है तो उसका भी चयन हो जाएगा। यदि किसी छात्र के 400 से 500 अंक हैं और उसके चयनित कॉलेजों में सीटें खाली नहीं हुईं तो उच्च अंक वाले ऐसे छात्र भी बीएड या एमएड करने से वंचित रह सकते हैं। पहली बार बीएड व एमएड कॉलेजों में दाखिले के लिए एक ही बार काउंसलिंग का मौका दिया जाएगा।

पहले ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में खाली रह जाती थीं सीटें: राज्य सरकार के नए नियम से माना जा रहा है कि इस बार ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में सीटें खाली नहीं रहेंगी। हर बार शहरी कॉलेजों की सीटें भर जाती थीं और ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती थीं।


10 अंक वाला भी पास: इस बार प्री बीएड व प्री एमएड परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों के लिए कोई एलिजिबिलिटी (पात्रता) अंक नहीं रखे गए हैं। प्री बीएड व प्री एमएड परीक्षा आयोजक दोनों यूनिवर्सिटी की नजर में 10 अंक पाने वाला भी बीएड या एमएड करने का हकदार होगा। इसलिए परिणाम में किसी को भी अनुत्तीर्ण घोषित नहीं किया जाएगा। अभ्यर्थियों द्वारा सही किए सवालों के अंक प्रदान कर परिणाम घोषित किया जा रहा है।

खत्म ही कर दिया कटऑफ सिस्टम...: सरकार ने इस बार परीक्षा से पहले ही निर्देशित कर दिया था कि प्री टेस्ट में नेगेटिव मार्किग नहीं रहेगी। परीक्षा में शामिल होने के लिए पात्रता पिछले साल से पांच प्रतिशत बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दी गई। इसलिए प्री टेस्ट के परिणाम में कट ऑफ सिस्टम खत्म कर दिया गया है। - प्रो.ए के मलिक, समन्वयक प्री बीएड, जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर

हमारी नजर में तो 3 फीसदी अंक लाने वाला भी एमएड का हकदार है, यदि उसके द्वारा काउंसलिंग में भरे गए कॉलेज में सीट खाली है। इस बार ज्यादा या कम प्राप्तांक की बजाय चयनित कॉलेज में सीटों की संख्या ही चयन का आधार रहेगा। - भूपेंद्रसिंह राठौड, समन्वयक, प्री एमएड, राजस्थान यूनिवर्सिटी

इसलिए ऐसा फैसला: पिछले साल प्रदेश में बीएड की 12 हजार सीटें खाली रही थीं। सरकार की जिद से तीसरी काउंसलिंग नहीं हुई और हजारों छात्र बीएड करने जम्मू और एमपी गए। हमारे कॉलेज खाली रहे। इससे विश्व स्तर पर सरकार की उच्च शिक्षा में दाखिले का प्रतिशत गिराने के लिए तौहीन हुई।

नीति निर्धारकों ने सभी कॉलेजों की सीटें भरने के लिए इस बार नया प्रयोग किया है। जब इंजीनियरिंग में बिना प्री टेस्ट वाले छात्रों को भी दाखिला दिया जा रहा है तो बीएड एमएड में क्यों नहीं। प्री टेस्ट में बैठने वाला छात्र पहले ही डिग्री में 50 फीसदी ला चुका है। इसका मतलब वह कमजोर नहीं है। ऐसे में प्री टेस्ट में वह कम अंक भी लाए तो क्या फर्क पड़ता है। नए फैसले से कॉलेज बंद होते रुकेंगे। - प्रो. बी एल वर्मा, संस्थापक कुलपति, कोटा यूनिवर्सिटी

क्या किया नियमों में बदलाव: प्रवेश के लिए कोई कट ऑफ मार्क्‍स की सीमा नहीं, परीक्षा में कोई नेगेटिव मार्किग नहीं, प्री टेस्ट के लिए पात्रता यू जी या पीजी में सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग के लिए 45 प्रतिशत प्राप्तांक, काउंसलिंग के समय कॉलेज संख्या चयन की बाध्यता नहीं, कितने भी कॉलेज भर सकेंगे, काउंसलिंग से चुने कॉलेजों में अभ्यर्थियों के प्राप्तांकों की मेरिट के आधार पर चयन(डुंगर सिंह राजपुरो,दैनिक भास्कर,जयपुर,20.6.11)।

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