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16 जून 2011

महाराष्ट्र में 15 साल पुरानी स्कूल बसों पर रोक

महाराष्ट्र शासन के नए आदेश के मुताबिक 15 साल या इससे अधिक पुरानी स्कूल बसें नहीं चल पाएंगी। स्कूल बस चलाने के संबंध में मार्च 2011 को नए नियम तथा शर्तें भी लागू की गई हैं।

स्कूल बस चलाने वाले बस संचालक इस आदेश से खासे नाराज हैं। खासकर बस की उम्र को लेकर किए गए फैसले पर आपत्ति जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, शहर के भीतर करीब 70 तथा ग्रामीण में करीबन 80 बसें 15 साल या इससे अधिक पुरानी हैं।

कुछ दिन पूर्व स्कूल बस संचालक परिवहन आयुक्त कार्यालय पहुंचे थे, जिसके बाद प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों को संचालकों व शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक का निर्देश दिया था। बुधवार की शाम 4 बजे से बैठक आयोजित की गई।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने संचालकों की आपत्तियां दर्ज कर ली हैं, जो शासन को भेजी जाएंगी। बैठक के बाद अधिकांश वाहन संचालकों ने कहा कि उन्हें नए नियम व शर्तो में 15 साल पुराने वाहनों का संचालन न किए जाने को छोड़कर शेष सभी मान्य हैं।


वाहनों की उम्र बढ़ाकर तय करने के लिए ट्रांसपोर्टर शासन से गुजारिश करने वाले हैं। 

नए नियम अथवा शर्तें

वाहन का रंग पीला हो, पीछे व बाजू में स्कूल बस लिखा हो, 150 मिलीमीटर का लाल पट्टा हो, स्कूल के साथ कांट्रेक्ट वाले वाहनों का रंग भी पीला हो, खिड़कियों के नीचे 400 मिलीमीटर पीला पट्टा हो, 15 साल पुराने वाहन नहीं चलेंगे, 250 एमएम के लोगों में स्कूली छात्र व छात्रा का चित्र, वाहन में चलने वाले सभी बच्चों की जानकारी नाम, पते, दूरभाष क्रमांक के साथ चालक, परिचालक एवं मुख्याध्यापक के पास होनी चाहिए, पूर्व प्राथमिक विद्यार्थियों के पालक यदि बस स्टाप पर लेने न आएं तो बच्चों को वापस स्कूल छोड़कर संबंधित अधिकारी को सूचित करना, वाहन के पायदान की जमीन से दूरी 220 एमएम हो, आपातकालीन द्वार हो, वाहन में कर्कश आवाज न हो, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा हो, मनपा सीमांतर्गत गति 40 व ग्रामीण सीमा के भीतर 50 किमी गति के अनुसार चलना सहित 28 नियम व शर्ते हैं।

बस निर्माता कंपनी को फायदा दिलाने की आशंका

बैठक के दौरान वाहन संचालक श्री जॉन ने शंका जताते हुए बताया कि नए आदेश से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह किसी बस निर्माता कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। संतोष जोग के अनुसार आरटीओ में सभी वाहनों की पूर्ण जानकारी दर्ज होती है। 

इस आदेश के संबंध में पहले ही सूचित किया जाना चाहिए था। नए नियम में नवीनीकरण की बात तो मंजूर की जा सकती है किंतु 15 साल में बसों को कबाड़ में डाल देना सही नहीं है। अन्य संचालकों में लईक सिद्दीकी व रफ्फू सिद्दीकी ने बताया कि इन गाड़ियों का परमिट पांच साल के लिए दिया जाता है, कई गाड़ियां ऐसी हैं, जिनके परमिट की अवधि 2014 तक हैं। 

बस बनाने वाली कंपनी ने गाड़ी की 1.5 लाख किलोमीटर की वारंटी दी है। लेकिन 15 साल पुरानी होने के बावजूद गाड़ियां इतनी दूरी को तय नहीं कर पाई है। कम दूरी में चलने की वजह तथा निरंतर रखरखाव से बस का इंजन भी खराब नहीं होता। सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा नियम नहीं है। नई बस लेंगे तो भाड़ा भी बढ़ाना होगा। परिवहन कार्यालय द्वारा ही इन गाड़ियों को फिट करार दिया गया है(दैनिक भास्कर,नागपुर,16.6.11)।

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