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24 जून 2011

छत्तीसगढ़ःन परीक्षा, न काउंसिलिंग सीधे डॉक्टरी की पढ़ाई

पीएमटी मामले में नित्य नए खुलासे हो रहे हैं। सीआईडी की जांच में पता चला है कि फर्जी परीक्षार्थियों ने न सिर्फ व्यापमं के हर सिस्टम को ध्वस्त कर दिया, बल्कि बिना काउंसिलिंग में शामिल हुए वे मेडिकल कॉलेज में भी प्रवेश लेने में कामयाब रहे।

2010 में ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा विद्यार्थी थे। सीआईडी ने व्यापमं को सुरक्षा व्यवस्था नए सिरे से बनाने के भी सुझाव दिए हैं। मुन्नाभाई पहचाने जाने के डर से जिला बदलकर परीक्षा देते थे।

छात्र के दोस्तों या साथ में तैयारी करने वालों के साथ परीक्षा केंद्र न मिल जाए, इसलिए मुन्ना भाई जिलों को बदल कर परीक्षा केंद्र मांगते थे। यही वजह है कि पीएमटी में सैकड़ों छात्रों का स्थायी पता किसी जिले का होता था और वे परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों में मांगते थे।

कुछ साल पहले मंडल के अधिकारियों को भी यह बात खटकी थी। व्यापमं ने यह व्यवस्था बनाने की कोशिश की थी, मूल निवास के आधार पर ही छात्रों को परीक्षा केंद्र का आवंटन किया जाए, हालांकि छात्र संगठनों ने इसका विरोध किया था।

पीएमटी की सुरक्षा पर नए सिरे से मंथन किया जा रहा है। सीआईडी के सुझावों को भी गंभीरता से लागू करने की कोशिश की जा रही है। सुरक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए जो आवश्यक होगा उसे तत्काल किया जाएगा।

प्रदीप चौबे, परीक्षा नियंत्रक, व्यापमं

सीआईडी के अधिकारी उस समय हैरान रह गए, जब अंगूठे के निशान परीक्षा फॉर्म और एग्जामिनेशन हॉल में दिए गए फॉर्म में एक समान मिले। परीक्षा देने वाले फर्जी छात्र को काउंसिलिंग में भी शामिल करवाया जाता था। 

फॉर्म और परीक्षा केंद्र में मुन्नाभाइयों की ही फोटो चस्पा की जाती थी। शक न हो इस वजह से मुन्नाभाई काउंसिलिंग में शामिल होकर सीट अलॉट भी करवा लेता था। काउंसिलिंग के दौरान केवल दस्तावेजों की जांच की जाती है। अंगूठे के निशान और फोटो का मिलान नहीं किया जाता है(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,24.6.11)।

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