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20 जून 2011

डीयू स्टूडेंट्स को विदेश यात्रा की सौगात

दिल्ली विविद्यालय के इतिहास में पहली बार विविद्यालय के आरक्षित व सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी विदेश यात्रा कर सकेंगे। विदेश यात्रा का पूरा खर्च विविद्यालय द्वारा उठाया जाएगा। विद्यार्थियों को आस्ट्रेलिया, चीन, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश की यात्रा कराई जाएगी। इस यात्रा के दौरान विद्यार्थी विदेशी विविद्यालयों, वहां के पाठय़क्रमों, शिक्षक, क्लासरूम और विद्यार्थी से रुबरु होंगे। विविद्यालय की इस योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को यह दिखाना है कि विदेशों में शिक्षा कैसी है, जिससे वे उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हों। विविद्यालय द्वारा कॉलेज शिक्षकों के लिए प्रत्येक तीन साल पर विदेश यात्रा की योजना को पहले ही घोषित किया जा चुका है। विविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश सिंह के अनुसार डीयू के अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा सामान्य श्रेणी के निर्धन विद्यार्थियों को विदेश यात्रा पर ले जाने की योजना बनाई गई है। विविद्यालय डीयू के कॉलेजों में ऐसे विद्यार्थियों का चयन करेगा, जिनका विदेश यात्रा का सपना पूरा होना मुश्किल है। ये पहली बार है कि विविद्यालय द्वारा निशुल्क तौर पर पिछड़े और निर्धन विद्यार्थियों को विदेश की सैर कराई जाएगी। प्रो सिंह के अनुसार विविद्यालय की योजना के तहत दिसम्बर में विद्यार्थियों को विदेश यात्रा करवा दी जाएगी। योजना के अनुसार विद्यार्थी अलग-अलग दलों में विदेश की सैर करेंगे। मसलन 25 विद्यार्थियों को एक दल आस्ट्रेलिया और 25 का एक दल चीन जाएगा। जबकि 25 विद्यार्थियों को तीसरा दल तीन देशों नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश की सफर पर निकलेगा। घर से लेकर विदेश जाने, वहां ठहरने और घूमने से वापस लौटने तक का पूरा खर्च विविद्यालय वहन करेगा। विदेश यात्रा के दौरान विद्यार्थी विदेशी विविद्यालयों में जाएंगे। वे वहां के पुस्तकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों से बात करेंगे। इसके लिए विविद्यालय द्वारा तय चयन कमेटी द्वारा कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा। इसके लिए दिसम्बर से पहले-पहले विविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को पासपोर्ट बनवाने से लेकर वहां जाने, ठहरने खाने-पीने की तैयारी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि विविद्यालय द्वारा डीयू कॉलेजों के शिक्षक के लिए अब प्रत्येक तीन साल पर विदेश यात्रा की योजना पहले ही तैयार की जा चुकी है(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,20.6.11)।

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