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22 जून 2011

लखनऊ विवि को भी गच्चा दे रहे डिग्री कालेज

लखनऊ विविद्यालय से सहयुक्त महाविद्यालय भी उसे दांव दे रहे हैं। विविद्यालय के परीक्षा विभाग ने इस खेल को पकड़ा। राजेन्द्र प्रसाद डिग्री कालेज ने स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम की मान्यता के बाद भी रेग्युलर कोर्स का शुल्क जमा कराया। मामला पकड़ में आने पर महाविद्यालय ने बढ़ी धनराशि तो जमा करा दी है, लेकिन ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि विविद्यालय में परीक्षा विभाग की मिलीभगत से कई वर्ष से यह खेल चल रहा है और इसमें तमाम डिग्री कालेजों के लिप्त होने की आशंका भी जतायी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि सभी महाविद्यालयों की जांच करायी जाए तो इस खेल के बड़े स्तर से पर्दा हटाया जा सकता है। विविद्यालय में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के लिए महाविद्यालयों को परीक्षा शुल्क के रूप में 1000 रुपये और रेग्युलर कोर्स के लिए 750 रुपये फीस जमा करायी जाती है। छात्रों के फार्म व उनकी फीस एकमुश्त विविद्यालय में जमा होती है। छात्रों के परीक्षा फार्म की जांच तो कर ली जाती है, लेकिन उसके साथ आये ड्राफ्ट को सीधे विविद्यालय के खाते में जमा कराया दिया था। विविद्यालय के परीक्षा विभाग ने एक डिग्री कालेज से आये फार्म का सत्यापन किया तो प्रति छात्र फीस में 250 रुपये की कमी मिली। विविद्यालय ने महाविद्यालय के फार्म रोक लिए और फीस की अंतर धनराशि जमा न होने पर परीक्षाफल न जारी करने की चेतावनी दी है। कम फीस की गिरफ्त में आये महाविद्यालय ने आनन-फानन अंतर धनराशि विविद्यालय में जमा करा दी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह खेल बड़े पैमाने पर विविद्यालय के निचले स्तर पर कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहा है। इसी महाविद्यालय की ओर से यह कारनामा कब से हो रहा है, यह जांच होने के बाद ही पता चलेगा। विविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि निजी क्षेत्र के 50 से ज्यादा महाविद्यालयों को स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों को शुरू करने की मंजूरी मिली है, लेकिन परीक्षा फार्म का शुल्क नियमित कोर्स वाला ही अदा दिया जा रहा है। इसकी वजह से पिछले कई वर्ष से विविद्यालय को चपत लग रही है, लेकिन इस बारे में कर्मचारी तो मुंह खोलने से परहेज कर रहे हैं और अधिकारी भी पल्ला झाड़ते नजर आये। लखनऊ विविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. एसके द्विवेदी का कहना है कि यह मामला बेहद गंभीर है। विविद्यालय को डार्क में रखने वाले डिग्री कालेजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक बाहर हैं, उनके लौटने पर ही इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा जा सकेगा, लेकिन यह गलत है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,22.6.11)।

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