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17 जून 2011

यूपीएमटी मामले में केंद्र से शिकायत करेगा उत्तराखंड

डाक विभाग की गलती से यूपीएमटी प्रवेश परीक्षा से वंचित हजारों अभ्यर्थियों को सरकार से कोई रियायत नहीं मिलने जा रही है। विविद्यालय की ओर से परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र को पत्र लिखा जा रहा है। स्पीड पोस्ट की स्लो चाल ने सैकड़ों छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ किया है। उत्तराखण्ड प्री मेडिकल टेस्ट के फार्म अभ्यर्थियों द्वारा अंतिम तिथि 31 मई से एक सप्ताह पूर्व स्पीड पोस्ट से भेजने के बावजूद देर से फार्म मिलने के चलते पंतनगर विविद्यालय ने इन फार्मो को निरस्त कर दिया है। अभ्यर्थियों को इसका पता तब चला जब 12 जून को होने वाली परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र के बदले उन्हें फार्म निरस्त किए जाने का पत्र मिला। इसमें से अधिकांश छात्रों ने 25 से लेकर 28 मई के बीच फार्म को स्पीड पोस्ट के जरिये भेजा था। विविद्यालय को अधिकांश फार्म दो जून को मिले है। इसके चलते विविद्यालय ने फार्मो को लेने के बजाय लौटा दिया। विवि की कार्रवाई से सकते में आए छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों ने मुख्य डाकघर में प्रदर्शन किया लेकिन विभागीय अधिकारियों से सिर्फ लिखित शिकायत लेकर उन्हें चलता कर दिया। उन्होंने फार्मो को भेजे जाने की तिथि दिखाकर पल्ला झाड़ लिया। जानकारी के अनुसार स्पीड पोस्ट देहरादून से पंतनगर पहुंचने में दो-तीन दिन से अधिक समय नहीं लगना चाहिए, लेकिन छात्रों के फार्म एक सप्ताह बाद विविद्यालय को मिले। इस संबंध में अभिभावकों ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी। साथ ही स्वास्थ्य महानिदेशक से कार्रवाई की मांग की थी। महानिदेशक डा. आशा माथुर ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि विलम्ब से फार्म मिलने के लिए विविद्यालय जिम्मेदार नहीं है। इस संबंध में विभाग की ओर से कोई कार्रवाई सम्भव नहीं है। शासन स्तर पर नीतिगत निर्णय लेते हुए छात्र हित में कोई निर्णय लिया जा सकता है। 10 जून को महानिदेशक की ओर से लिखे पत्र पर शासन कोई निर्णय लेता 12 जून को विविद्यालय की ओर से परीक्षा आयोजित करा दी गई और 15 जून को इसका परिणाम भी घोषित कर दिया गया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री बलबंत सिहं भौंर्याल ने कहा कि इस संबंध में कुछ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डाक विभाग की इस लापरवाही के लिए केंद्र को पत्र लिखा जा रहा है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,17.6.11)।

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