मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

29 जून 2011

महाराष्ट्रःछात्रों का इंजीनियरिंग से होने लगा मोहभंग

गत वर्ष की तुलना में इस बार इंजीनियरिंग और फार्मेसी की करीब 50 फीसदी सीटें रिक्त रह सकती हैं। दोनों ही पाठच्यक्रम के लिए ऑन लाइन एप्लिकेशन का बुधवार को आखरी दिन है। मंगलवार तक दोनों पाठ्यक्रमों के लिए महज 50 फीसदी ही विद्यार्थियों ने आवेदन किया है।

राज्य तकनीकी शिक्षा निदेशालय से भास्कर को मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध 58 इंजीनियरिंग कालेजों की कुल 21 हजार 798 सीटों के लिए 28 जून की शाम तक महज 12 हजार 33 विद्यार्थियों ने ऑन लाइन आवेदन किया है, जबकि फार्मेसी की कुल 1 हजार 50 सीटों के लिए 533 विद्यार्थियों ने आवेदन किया है। रिक्त सीटों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

आगामी जुलाई माह में एआईसीटीई की ओर नए कालेज और सीटों को बढ़ाने के प्रस्ताव पर फैसला होना है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिली है तो इंजीनियरिंग की सीटों की संख्या में तीन हजार का इजाफा होगा।

जबकि फार्मेसी की सीटों में 200 सीटों का इजाफा होगा। इससे रिक्त सीटों का ग्राफ और बढ़ जाएगा। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इंजीनियरिंग पाठच्यक्रम की कुल 6 हजार सीटें रिक्त थी। इन सीटों को भरने की काफी कवायद की गई थी। बावजूद इसके सीटें भर नहीं पाई थी।


इस वर्ष इंजीनियरिंग सीईटी के नतीजों को देखते हुए इंजीनियरिंग कालेज के संचालकों को उम्मीद थी कि सीटें आसानी से भर जाएगी। ऐसा नहीं हुआ। इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए संभाग से 30 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने सीईटी परीक्षा दी थी। 

जबकि फार्मेसी के लिए 5 हजार से अधिक विद्यार्थी इसमें शामिल हुए थे। प्रवेश के लिए पात्र विद्यार्थियों की संख्या के अनुरूप आवेदन नहीं हो पाने से कालेज प्रशासन में चिंता फैल गई है।

बेरुखी का कारण

दोनों ही पाठ्यक्रम में दाखिले को लेकर विद्यार्थियों में साल दर साल बढ़ रही बेरुखी के तीन प्रमुख कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण आसमान छूती फीस, दूसरा फीस की तुलना में साधन-सुविधा और शिक्षकों की कमी और रोजगार नहीं मिलना तथा तीसरा कारण आईआईटी और एनआईटी की ओर बढ़ रहा रूझान है। 

गत दिनों ही शिक्षण शुल्क समिति ने शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए नए अंतरिम शुल्क ढांचे की घोषणा की थी। साथ ही कालेजों की फीस में 5 हजार से 13 हजार रुपये की वृद्धि की गई। 

कारण अभी पता नहीं

ऑन लाइन एप्लिकेशन का दौर शुरू है। विद्यार्थियों में पाठच्यक्रम को लेकर रुझान कम क्यों है इसका अभी पता नहीं चल पाया है। प्रवेश प्रक्रिया के बाद इसका पता चलेगा। 
आर.एस.नायडू, सहनिदेशक, तकनीकी शिक्षा निदेशालय(दैनिक भास्कर,नागपुर,29.6.11)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।