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20 जून 2011

डीयू में दाखिलाःएससी-एसटी की तरह साइंस और कॉमर्स का भी कोटा हो

एक वक्त था जब आर्ट्स और कॉमर्स कोसेर्ज के मुकाबले साइंस कोसेर्ज की काफी ज्यादा डिमांड होती थी लेकिन अब वक्त बदल चुका है। खासकर डीयू में तो कॉमर्स कोसेर्ज के क्रेज ने साइंस को पीछे छोड़ दिया है। काफी स्टूडेंट्स ऐसे होते हैं जो साइंस से 12वीं करने के बाद बीकॉम ऑनर्स में एडमिशन लेना पसंद करते हैं। 12वीं में आमतौर पर साइंस स्ट्रीम के ज्यादा मार्क्स होते हैं इस वजह से कॉमर्स बैकग्राउंड वाले कई स्टूडेंट्स बीकॉम ऑनर्स में एडमिशन की रेस में पिछड़ जाते हैं। इस मुद्दे पर दोनों स्ट्रीम के स्टूडेंट्स से बात की हिना नंदा ने :

कॉमर्स स्टूडेंट्स

12 वीं में साइंस लेने वालेस्टूडेंट्स को हर तरफ से फायदा है। वह गन्ैजुएशन कॉमर्स स्ट्रीम से भी कर सकते हैं और साइंस से भी पर हम सिर्फ कॉमर्स स्ट्रीम में ही एडमिशन ले सकते है। पहले से ही आधी से ज्यादा सीटें भर जाने की वजह से मुझे इंग्लिश ऑनर्स का एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ा जिसमें मेरी अच्छी रैंक नहीं आई। अब मैं डीयू में एडमिशन लेने की जगह किसी दूसरी यूनिवसिर्टी में एडमिशन लेने की तैयारी कर रही हूं। मेरे ख्याल से एससी-एसटी की जगह सरकार को साइंस और कॉमर्स का कोटा लगाना चाहिए। - हंसिका चोपड़ा

मेरे ख्याल से तो यह स्टूडेंट्स के अपने इंट्रेस्ट लेवल पर डिपेंड करता है। उनकी वजह से हम जैसे कॉमर्स स्टूडेंट्स को सीटें मिलने में परेशानी होती है। साइंस स्टूडेंट्स साइंस स्ट्रीम में रहकर भी अपना करियर बना सकते हैं पर हम कॉमर्स वाले पीछे रह जाते हैं। जो सीटें हमारी हैं उन पर साइंस वाले आकर एडमिशन ले लेते हैं। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते डीयू का प्रोसेस ही ऐसा है कि जिसके नंबर ज्यादा हैं वहीं आगे रहेगा। यह तो बस मार्क्स और किस्मत का खेल है। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं हैं। - गरिमा


साइंस स्टूडेंट्स 

मैं एक साइंस स्टूडेंट हूं। मेरे मॉर्क्स कम आए हैं और र्फस्ट कट ऑफ कुछ ज्यादा ही हाई गई है। इस वजह से मैं सांइस स्ट्रीम में एडमिशन नहीं ले पा रही। इसलिए अब मैं इको ऑनर्स, पॉलिटिकल ऑनर्स या इंग्लिश ऑनर्स में एडमिशन लेने की कोशिश करूंगी। करियर के हिसाब से यह भी बहुत अच्छे कोर्स है। मैं मानती हूं कि यह कॉमर्स के स्टूडेंट्स के लिए अच्छा नहीं है पर अब कर भी क्या सकते हैं, यहां जो चीज मैटर करती है वो है मार्क्स। - कनन 

मैं इस बात को सपोर्ट नहीं करती कि स्टूडेंट्स अपनी साइंस स्ट्रीम को छोड़कर कॉमर्स में एडमिशन लेते हैं। उन्हें सब्जेक्ट की बेसिक जानकारी तो होती नहीं है और उन्हें नई शुरूआत करनी पड़ती है। जो लोग पहले से इस सब्जेक्ट को अच्छे से जानते हैं, उन्हें वह सब्जेक्ट पढ़ने का मौका नहीं मिलता। नए लोग सब्जेक्ट को देरी से समझ पाते हैं। अगर साइंस स्ट्रीम में एडमिशन न मिले तो कॉमर्स में स्विच करने की जगह उन्हें वह अगले साल तक वेट करना चाहिए या कहीं और एडमिशन लेना चाहिए। - रितिका(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,20.6.11)

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