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04 जुलाई 2011

राजस्थानःगरीब बेटियों को 12वीं तक पढ़ाएगी सरकार

आपकी बिटिया ने आठवीं पास कर ली है। आप उसे आगे पढ़ाना चाहते हैं। बिटिया भी पढ़-लिखकर अपना भविष्य सुधारना चाहती है, लेकिन आपके पास इतना पैसा नहीं है कि उसे आगे पढ़ा सकें। तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सीनियर सेकंडरी तक हॉस्टल में रहकर बिटिया नियमित स्कूल में पढ़ाई-लिखाई कर सकती है।

यहीं नहीं, सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर प्रतिभाशाली बेटियों को यह अधिकार भी दे दिया है कि उनके माता-पिता आगे नहीं पढ़ाना चाहते हैं लेकिन पढ़ना चाहती हैं तो भी आ सकती हैं। बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन के लिए सरकार ने यह सुविधा गरीब तबके की उन बेटियों को दी है जो कक्षा 9वीं से 12 वीं तक नियमित रूप से पढ़ना चाहती हैं। जो बेटियां आठवीं तक नियमित रूप से पढ़ रही हैं और पारिवारिक स्थिति के कारण वे आगे पढ़ पाने में यदि सक्षम नहीं हैं तो ऐसी बेटियों को प्राथमिकता के साथ ऐसे हॉस्टल में प्रवेश दिया जाएगा।


ऐसी बेटियों की पढ़ाई हॉस्टल में नहीं होकर सरकारी स्कूलों में ही होगी। यह स्कूल हॉस्टल के बिल्कुल पास ही होंगे और स्कूल का प्रिंसीपल ही हॉस्टल की देखरेख करेगा। हॉस्टल में दाखिले के बाद खाने-पीने से लेकर कपड़े, जूते-चप्पल, स्कूल ड्रेस से लेकर तेल, साबुन तक का खर्चा सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा। जिले में पहली बार ही ऐसा हो रहा है जब चार हॉस्टल में ऐसे गरीब तबके की 200 छात्राएं पढ़-लिखकर अपनी कामयाबी का नया इतिहास लिखेंगी।

हर हॉस्टल में 50-50 बेटियों को दाखिला दिया जाएगा। जिले में तबीजी समेत चार स्थानों पर हॉस्टल सुविधा, अजमेर शहर समेत किसी भी गांव की बेटी पा सकेगी प्रवेश, तीन साल तक एक धेला खर्च करने की जरूरत नहीं, नियमित स्कूलों में ही पढ़ेगी, खाने-पीने व कपड़ों का बंदोबस्त भी सरकार के जिम्मे। अभी 200 बेटियों को मिलेगी सुविधा, अगले साल तीन जगह और खुलेंगे छात्रावास।

जिले में चार हॉस्टल शुरू कर दिए गए हैं। इस वर्ग की आठवीं पास बेटियों को हॉस्टल में प्रवेश दिया जाएगा और वहीं की सीनियर सेकंडरी स्कूल में वे नियमित रूप से अध्ययन कर सकेंगी। इनसे किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्रत्येक हॉस्टल में 100 छात्राओं की कैपेसिटी है लेकिन फिलहाल 50 बिटियों को ही प्रवेश दिया जाएगा। अगले साल तीन और छात्रावास खोले जाएंगे। - एके गुप्ता एडीपीसी, रामसा(सुरेश कासलीवाल,दैनिक भास्कर,अजमेर,4.7.11)

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