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16 जुलाई 2011

बिहारःकॉलेजों में सप्ताह में 20 घंटे पढ़ाना अनिवार्य

राज्य के महाविद्यालयों में विज्ञान कक्षा के एक सेक्शन में 72 तथा कला कक्षा के एक सेक्शन में 114 छात्रों की संख्या होगी। राज्य के विविद्यालय शिक्षकों के युक्ति संगत एकीकरण हेतु उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित समिति ने यह निर्णय लिया है। समिति में मानव संसाधन विकास विभाग और राज्यपाल सचिवालय के सदस्य शामिल हैं। विविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विज्ञान कक्षा के एक सेक्शन में छात्रों की संख्या 60 तथा कला संकाय में एक सेक्शन के लिए छात्रों की संख्या 96 अनुशंसित है। इस विषय पर राज्यपाल सचिवालय द्वारा गठित समिति एवं मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा गठित समिति में भी विरोधाभास रहा। विरोधाभास के दृष्टिगत सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विज्ञान कक्षा के एक सेक्शन में छात्रों की संख्या 60 तथा कला कक्षा के एक सेक्शन में छात्रों की संख्या 96 को आधार माना जाये। इसमें यह कहा गया कि अधिकतम 20 प्रतिशत अतिरिक्त छात्र होने पर भी उसे एक सेक्शन के अन्दर समाहित किया जायेगा। अर्थात प्रति सेक्शन क्रमश: 72 तथा 114 छात्रों की संख्या तक ही एक सेक्शन रहेगा। इससे अधिक होने पर अतिरिक्त सेक्शन गठन होगा परंतु यदि किसी महाविद्यालय के किसी कक्षा में छात्रों की संख्या 60 से कम भी होगी अथवा न्यूनतम कितनी भी होगी तो उसे भी उसे एक सेक्शन माना जायेगा, वहीं समिति के सदस्यों में विविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों के पठन-पाठन पर भी मतभेद रहा। उक्त बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा एवं पूर्व में निर्गत आदेशों के समीक्षोपरांत सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि विविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों के लिए सीधे तौर पर पठन- पाठन हेतु 20 घंटे प्रति सप्ताह को आधार मानकर महाविद्यालय शिक्षकों की आवश्यकता की पुन: गणना की जाए। विविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षकों के लिए सीधे तौर पर पठन-पाठन हेतु 16 घंटा प्रति सप्ताह समय निर्धारित किया गया है। राज्यपाल सचिवालय द्वारा गठित समिति द्वारा पठन-पाठन के संदर्भ में सभी पहलुओं पर विचारोपरांत शिक्षकों के लिए सीधे तौर पर 20 घंटे पठन-पाठन को आधार मानकर छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता की गणना की गयी थी। जबकि मानव संसाधन विकास विभाग ने 26 घंटे प्रति सप्ताह को आधार मानकर गणना की थी(राष्ट्रीय सहारा,पटना,16.7.11)।

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