डॉक्टर्स डे पर यह प्रश्न अहम बन जाता है कि राज्य भर की 300 एमबीबीएस सीटें क्या पूरे छत्तीसगढ़ को डॉक्टर उपलब्ध करा पाने में सक्षम हैं। इन 300 सीटों में 15 फीसदी यानी कि 45 सीटें राज्य के बाहर के छात्रों के लिए आरक्षित है।
ट्रेंड बताता है कि राज्य के बाहर के छात्र छत्तीसगढ़ में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं करना चाहते। यह 45 सीटें हटाने के बाद हर वर्ष डॉक्टरों के निकलने का यह आंकड़ा 255 बचता है। 18 जिलों वाले इस राज्य में हर वर्ष 255 डॉक्टर नाकाफी हो रहे हैं। डॉक्टर पर्याप्त नहीं हैं इस बात की चुगली राज्य और शहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की खाली पड़े पद कर रहे हैं।
राजधानी होने के बावजूद रायपुर में अलग-अलग स्ट्रीम के विषय विशेषज्ञ डॉक्टरों के 139 पद खाली पड़े हैं। रिक्त पदों का यह आंकड़ा वर्ष दर वर्ष घटने के बजाय बढ़ रहा है। इस परिदृश्य को यदि शहर से अलग हटकर पूरे राज्य के लिए देखें तो राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 590 और चिकित्सा अधिकारियों के 1181 पद खाली पड़े है।
80 फीसदी पद खाली
सरकारी चिकित्सकों के पदों की इतनी बड़ी संख्या के खाली रह जाने की दो वजहें हैं। पहली वजह राज्य के बाहर के डॉक्टरों का राज्य में नौकरी न करना है और दूसरी बड़ी वजह डिमांड की तुलना में एमबीबीएस डॉक्टर न मिलना है। राज्य के वह जिले जो नक्सल से प्रभावित हैं वहां चिकित्सकों की हालत और भी खराब है।
कई सरकारी चिकित्सालय एक भी डॉक्टर के बिना संचालित हो रहे हैं। राजधानी होन के बावजूद रायपुर में शल्य क्रिया विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञों के 80 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े है। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
एक साल, तीन कॉलेज, 255 डॉक्टर
राज्य में एमबीबीएस का पाठ्यक्रम संचालित करने वाले तीन कॉलेज हैं। रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर स्थित इन कॉलेजों में कुल मिलाकर तीन सीटों हैं। जिसमें रायपुर मेडिकल कॉलेज की 150, बिलासपुर मेडिकल कॉलेज की 100 और जगदलपुर मेडिकल कॉलेज की 50 सीटें शामिल हैं।
इन तीन सौ सीटों में से 15 फीसदी सीटें राज्य के बाहर के छात्रों के लिए आरक्षित है। इस प्रकार सीटों का यह आंकड़ा 255 पर बैठता है। पूरे प्रदेश में डॉक्टरों के लगभग 18 सौ पद खाली हैं। यदि पूरे के पूरे छात्र सरकारी अस्पतालों में चले भी जाते हैं तो डॉक्टरों के यह रिक्त स्थान सात साल में भरेंगे।
भविष्य में घट सकते हैं और भी छात्र
राज्य में पीएमटी परीक्षा कभी भी बहुत विश्वसनीय नहीं रही है। इस सत्र में लगातार दो बार पीएमटी पेपर लीक होने से इस परीक्षा की विश्वसनीयता और भी संकट में आई है। पीएमटी कोचिंग से जुड़े प्रदीप चक्रवर्ती कहते हैं कि शहर में मेडिकल के क्षेत्र में कॅरियर बनाने वाले छात्र अब पीएमटी की बजाय दूसरी मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं में भागीदारी बढ़ाएंगे।
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी
राज्य स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टर
पद- कार्यरत- रिक्त
833 243 590
चिकित्सा अधिकारी
पद- कार्यरत -रिक्त
2365 1184 1181
शहर की स्थिति
पद- कार्यरत -रिक्त
312 173 139
खंड विकास अधिकारी
पद-कार्यरत-रिक्त
18 0 18
शल्य क्रिया विशेषज्ञ
पद- कार्यरत- रिक्त
18 5 13
शिशु रोग विशेषज्ञ
पद -कार्यरत- रिक्त
18 3 15
स्त्री रोग विशेषज्ञ
पद -कार्यरत -रिक्त
18 2 16
निजी कॉलेज जल्द
"सरकार राज्य में मेडिकल सीटें बढ़ाने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों को आमंत्रित करेगी। इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की योजना हाथ में ली जा रही है। इसके अलावा रायगढ़ में जल्द ही मेडिकल कॉलेज शुरू किया जाएगा। चिकित्सकों की कमी के लिए हम तदर्थ की नियुक्तियां कर रहे हैं।"
अमर अग्रवाल, स्वास्थ्य मंत्री, छग सरकार
बढ़ानी होंगी सीटें
"मेडिकल छात्र कम संख्या में निकलने से खाली पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। राज्य के बाहर के छात्र यहां आकर कॅरियर बनाना नहीं चाहते। जब तक मेडिकल की सीटें नहीं बढ़ेंगी तब तक सरकारी अस्पतालों में पद खाली छूटते रहेंगे।"
जीके सक्सेना, मुख्य चिकित्सा अधिकारी(रोहित मिश्र,दैनिक भास्कर,रायपुर,1.7.11)
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