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01 जुलाई 2011

नामों में चकराई जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी

जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा देने वाली परीक्षार्थी अब परेशान हो रही हैं। इनके घर लिफाफे तो सही पहुंचे लेकिन मार्कशीट इधर-उधर हो गई। दो परीक्षार्थियों ने किसी तरह एक-दूसरे के पते पर जाकर मार्कशीट का मिलान किया।

इससे एक की सही मार्कशीट मिल गई लेकिन अब तीसरी मिले तो शायद समस्या का समाधान हो। इसका पता लेने के लिए परिजन चक्कर काट रहे हैं। डीबी स्टार टीम को सूचना मिली कि एमए प्रीवियस राजनीति विज्ञान प्राइवेट देने वाली कुछ परीक्षार्थियों को अब तक सही मार्कशीट नहीं मिली। इस पर टीम ने पड़ताल की। पता चला कि नामों की समानता के कारण यूनिवर्सिटी के कर्मचारी गच्चा खा गए। उन्होंने केवल मार्कशीट पर रेणु नाम देखा और रेणु नाम के लिफाफे में डाल दी। इस जल्दबाजी में यह ध्यान नहीं रहा कि रेणु के उपनाम, पिता और पति के नाम अलग हो सकते हैं?


इस कारण रेणुलता शर्मा की मार्कशीट रेणु राठौड़ के यहां पहुंच गई। रेणु राठौड़ की मार्कशीट किसी अन्य रेणु राठौड़ के यहां चली गई। पता चला कि रेणुलता शर्मा ने एमए प्रीवियस राजनीति विज्ञान की परीक्षा दी थी। 9 जून को घोषित रिजल्ट में वह पास भी हो गई। 18 जून को उनके पते पर यूनिवर्सिटी से लिफाफा पहुंचा। इसमें मार्कशीट देखी। मार्कशीट देखते ही वह खुश हो गई और एमए फाइनल में और कड़ी मेहनत करके ज्यादा अच्छे नंबर लाने की सोचने लगी। थोड़ी देर बाद इस मार्कशीट को जब ध्यान से देखा तो आश्चर्य हुआ। यह मार्कशीट तो किसी अन्य रेणु की थी।

नियमित कर्मचारियों की कमी: जेएनवीयू में ऐसी गड़बड़ियां अक्सर हो रही हैं। इसका कारण है कर्मचारियों की कमी। ठेके के कर्मचारियों से काम करवाना पड़ रहा है, जो कि इतने गंभीर नहीं होते। परीक्षा विभाग से लेकर संकाय स्तर तक कई महत्वपूर्ण काम ठेके के कर्मचारी कर रहे हैं। ऐसे में काम में चूक होना आम बात हो गई है। कर्मचारी यह कहकर जिम्मेदारी से बच जाते हैं कि हम नए हैं पता नहीं कैसे होता है काम? वहीं अफसर कर्मचारियों की कमी का बहाना बना लेते हैं।

काम आया फोन नंबर लेना: परीक्षा केंद्र में ही रेणुलता शर्मा के पास बीजेएस में रहने वाली रेणु राठौड़ भी परीक्षा दी थी। धीरे-धीरे इनकी पहचान हो गई। दोनों ने एक-दूसरे को अपने मोबाइल नंबर भी दिए। रेणु राठौड़ के नाम की मार्कशीट देखकर रेणुलता ने उसे फोन किया। रेणु राठौड़ से पता चला कि उसे जो लिफाफा मिला है उसमें भी मार्कशीट उसकी नहीं है। गुरुवार सुबह रेणुलता का देवर ब्रजेश मार्कशीट लेकर बीजेएस गया। यह मार्कशीट रेणु राठौड़ की निकली। इस तरह उसे तो सही मार्कशीट मिल गई। लेकिन उसके पास पहुंची मार्कशीट किसी अन्य रेणु राठौड़ पुत्री गणपत राठौड़ की है। अभी तक उसका पता नहीं चला।

परेशानी तो अब भी वही: रेणु राठौड़ को अपनी मार्कशीट मिल गई लेकिन रेणुलता की समस्या बरकरार है। अन्य रेणु राठौड़ का पता नहीं मिल रहा। यह पता लेने के लिए उसने यूनिवर्सिटी में कई चक्कर लगाए। 

रजिस्ट्रार को बता दूंगा: हमारे यहां से तो मार्कशीट संबंधित विभाग में भेज दी जाती है। इसलिए यह गलती विभागीय स्तर से हुई है। फिर भी मैं मामले से रजिस्ट्रार को अवगत करा कर उचित निर्देश ले लूंगा और सभी विभागों में यह निर्देश जारी कर देंगे ताकि मार्कशीट वितरण प्रणाली में सुधार आ सके। - रामवीर शर्मा, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, परीक्षा विभाग

मैं चैक करवा लेती हूं: क्या? लिफाफे पर नाम किसी का और अंदर मार्कशीट किसी और की? ऐसी कोताही कैसे हुई? मैं मामले को चैक करवा लेती हूं। ऐसी गड़बड़ियां आइंदा नहीं होंगी। - निर्मला मीणा, रजिस्ट्रार, जेएनवीयू(दैनिक भास्कर,जोधपुर,1.7.11)

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