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22 जुलाई 2011

शिक्षण संस्थाओं में 27 फीसद ओबीसी कोटा भरने की जरूरतःसुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मकसद पिछड़े वर्ग को सामाजिक प्रगति के रास्ते पर लाना है ताकि आरक्षण प्राप्त छात्र कुछ समय बाद सामान्य श्रेणी के छात्रों के साथ प्रतियोगिता में समकक्ष खड़े हो सके। जस्टिस आरवी रवीन्द्रन और एके पटनायक की बेंच ने कहा कि संविधान पीठ ने भी 27 प्रतिशत आरक्षण सिर्फ ओबीसी के लिए दिया है। बेंच ने ओबीसी की रिक्त सीटें सामान्य श्रेणी के छात्रों से भरने की नीति पर यह टिप्पणी की। इस समय अधिसंख्य शिक्षण संस्थान ओबीसी की खाली सीटें सामान्य श्रेणी के छात्रों से भर देते हैं। बेंच ने सवाल किया कि ओबीसी के छात्र सामान्य कैटेगरी में दाखिला पा जाते हैं। क्या उन्हें सिर्फ ओबीसी के तहत ही दाखिला दिया जाए। बेंच ने सुनवाई के दौरान पक्षकारों से कई तरह के सवाल किए। अदालत ने कहा कि ओबीसी आरक्षण का अधिकतम लाभ किस तरह दिया जा सकता है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी में देने से साफ है कि आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग को नहीं मिल रहा है। बेंच ने कहा कि कट ऑफ मार्क्‍स का ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सामान्य श्रेणी की कट ऑफ लिस्ट से दस प्रतिशत कम अंक पर ओबीसी सूची तैयार करना कितना मुनासिब है। अगर छात्र अन्य सभी पात्रताएं पूरी करता है, तो उसे कट ऑफ के आधार पर आरक्षण के लाभ से वंचित करना कहां तक उचित है। बेंच ने कहा कि हो सकता है कि ओबीसी का छात्र कम योग्य हो लेकिन कालांतर में वह सामान्य श्रेणी के नजदीक आ सकता है। शुरुआती दौर में इस तरह की दिक्कतें आती है। बेंच ने यह भी कहा कि आरक्षण का यह मुद्दा सिर्फ दिल्ली के विविद्यालयों के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने अदालत में याचिका दायर करके ओबीसी कोटे पर अदालत से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,22.7.11)।

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