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08 जुलाई 2011

उत्तराखंडःशिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने का विरोध

सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 65 करने को लेकर डिग्री कालेज के शिक्षकों में एक राय नहीं है। शिक्षकों के एक गुट ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढ़ाने की मांग को अनुसूचित जाति व जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं के साथ अन्याय करार दिया है। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का विरोध करने वाले शिक्षकों का कहना है कि नियमावली के अनुसार शिक्षकों के कुल पदों में 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति, चार प्रतिशत अनुसूचित जनजाति व 14 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलना चाहिए। प्रदेश में मौजूदा समय प्रदेश के सरकारी डिग्री कालेजों में शिक्षकों की संख्या करीब 560 है जिसमें अनुसूचित जाति के 26 व जनजाति के पांच शिक्षक हैं, जबकि आरक्षण की नियमावली के अनुसार अनुसूचित जाति के शिक्षकों की संख्या 106 व जनजाति वर्ग में 22 शिक्षक होने चाहिए। अनुसूचित जाति व जनजाति के मिलाकर 97 शिक्षकों की संख्या कम है। ऐसी स्थिति में सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष होने पर इन युवाओं को रोजगार के अवसर कम मिलेंगे। अशासकीय डिग्री कालेजों में भी आरक्षित वर्ग में 62 शिक्षकों की संख्या कम है। इसलिए आरक्षित वर्ग का कोटा पूरा होने तक सेवानिवृत्ति की आयु सीमा को नहीं बढ़ाया जाना चाहिए(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,8.7.11)।

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