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08 जुलाई 2011

सुखाड़िया विश्वविद्यालय की भर्ती फिर विवादों में

सालों बाद सुखाडिया विश्वविद्यालय में हो रही शैक्षणिक भर्तियां फिर विवादों में आ गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन यूजीसी की ओर से जारी अघिनियम, 2010 के अनुसार भर्ती प्रक्रिया कर रहा है, जिसे विश्वविद्यालय एक्ट में शामिल ही नहीं किया गया। नए अघिनियम को एक्ट में शामिल करने की औपचारिकताएं पूरी कर राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए प्रस्ताव भेज दिया, मगर अब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए।

गौरतलब है कि यूजीसी ने भी विश्वविद्यालयों को आदेश दिया था कि विवि एक्ट में संशोधन कर नए अघिनियम को जोड़े और फिर पालना करें। विश्वविद्यालय ने नए अघिनियम को प्रबंध मंडल (बॉम) में ही पारित किया और राज्यपाल को भेज दिया।

इधर, शिक्षकों की कमी और नैक ग्रेडिंग के लिए भर्ती आवश्यक है। इसलिए विवि प्रशासन ने भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रशासन की दलील है कि आखिर कब तक वह हस्ताक्षर होने का इंतजार करेंगे?

यह है प्रावधान

मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय एक्ट, 1962 के सेक्शन-35 एक्ट में संशोधन प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। इसके तहत विश्वविद्यालयों को नियमों में संशोधन का प्रस्ताव बनाकर पहले शैक्षणिक परिषद में रखना होगा। वहां पारित होने के बाद प्रबंध मंडल से पारित करवाना होगा। इसके बाद राज्यपाल के हस्ताक्षर होंगे, फिर नियमों में संशोधन होगा।

एक्ट में संशोधन के लिए नियमानुसार प्रस्ताव बनाकर राज्यपाल के पास भिजवाया है। अब तक अनुमति नहीं मिली है। लेकिन यूजीसी नई शैक्षणिक योजनाएं लागू कर रहा है और पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है। ऎसे में भर्ती जरूरी है। इसलिए यूजीसी के नए अधिनियम के अनुसार भर्ती कर रहे हैं।
डॉ. संजय लोढ़ा, प्रवक्ता, सुविवि(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,8.7.11)

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