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04 जुलाई 2011

सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अब कोई नहीं आएगा तृतीय श्रेणी

सुखाडिया विश्वविद्यालय में अब स्नातकोत्तर कक्षाओं में कोई भी विद्यार्थी तृतीय श्रेणी नहीं आएगा। परिणाम से तृतीय श्रेणी वर्ग ही हटा दिया गया है। विश्वविद्यालय ने सत्र 2011-12 मे सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के साथ ही परीक्षा व परिणाम पद्धति में भी परिवर्तन किया है।
यह नई पद्धति विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय के सभी स्नातकोत्तर कक्षाओं में लागू होगी। हालांकि यह नई प्रणाली विश्वविद्यालय के तीनों संघटक महाविद्यालयो में ही शुरू की जा रही है। अगर संबद्ध महाविद्यालय भी यह पैटर्न अपनाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए विश्वविद्यालय को सूचित करना होगा।
परिणाम में अब प्रथम श्रेणी विशेष योग्यता के साथ, प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी ये तीन ही वर्ग होंगे। विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 48 प्रतिशत अंक लाने होंगे। 75 प्रतिशत लाने वाले विद्यार्थी को प्रथम श्रेणी विशेष योग्यता के साथ दर्जा मिलेगा और 60-74.99 प्रतिशत अंक लाने वालों को प्रथम श्रेणी व साठ प्रतिशत से कम व 48 प्रतिशत से अघिक अंक लाने वाले द्वितीय श्रेणी कहलाएंगे।

कम्यूनिकेशन व व्यक्तित्व विकास कोर्स
सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ कम्यूनिकेशन स्किल व व्यक्तित्व विकास का भी कोर्स करना होगा। इसके लिए विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। जब तक विद्यार्थी के पास यह प्रमाण पत्र नहीं होगा वह अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा नहीं दे पाएगा। इसके अलावा प्रत्येक पेपर में 25 अंक आंतरिक मूल्यांकन के होंगे। अंतिम सेमेस्टर में विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट बनाना होगा।


तीन साल में पूरी होगी डिग्री
अब तक स्नातकोत्तर डिग्री अधिकतम चार साल में पूरी कर सकते थे, लेकिन सेमेस्टर प्रणाली में डिग्री अधिकतम तीन साल में पूरी करनी होगी। कुल चार सेमेस्टर होंगे। इसके अलावा पुर्नमूल्यांकन के लिए हर विभाग की एक कमेटी गठित होगी। अगर कमेटी विद्यार्थी को पुर्नमूल्यांकन की अनुमति देती है, तो ही विद्यार्थी पुर्नमूल्यांकन किया जाएगा।
शैक्षणिक सुधार की दृष्टि से यूजीसी ने ये निर्देश जारी किए थे, जिन्हें लागू किया गया है। पैटर्न यूजीसी व देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की तर्ज पर तैयार किया गया है। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता और बढ़ेगी।
- डॉ. संजय लोढ़ा, प्रवक्ता, सुविवि
(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,3.7.11)

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