‘साढ़े चार साल का एमबीबीएस कोर्स, इंटर्नशिप, पीजी इसके बाद उच्चस्तरीय विशेषज्ञ कोर्स। इस तरह स्कूल की पढ़ाई के बाद फिर 10 से 13 साल पढ़ने में ही निकल जाते हैं। जब बाकी ग्रेजुएट्स अपनी नौकरी और परिवारों में सैटल हो चुके होते हैं। मेडिकल स्टूडेंट्स तब भी कॉलेजों में ही पढ़ रहे होते हैं। उस पर यदि यूनिवर्सिटी, मेडिकल शिक्षा संचालनालय या व्यापमं की गलती से स्टूडेंट्स का 1 साल और बर्बाद होता है तो उसका दर्द केवल मेडिकल स्टूडेंट ही समझ सकता है।’ इस साल इसी तरह की समस्या से वे स्टूडेंट्स जूझ रहे हैं जिन्हें पीएमटी देना है।
एआईसीटी के नॉर्म्स के हिसाब से पहला सत्र 1 जुलाई से शुरू होना था लेकिन पीएमटी 24 जुलाई को है। यदि अगस्त के दूसरे हफ्ते तक व्यापमं ने इसके नतीजे घोषित भी कर दिए तो, काउंसिलिंग होते-होते सितंबर हो जाएगा। यानि शुरुआत में ही सत्र 3 महीने लेट हो गया। उधर फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर के स्टूडेंट की अभी तक परीक्षा की तारीखें ही बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी ने घोषित नहीं की हैं। यानि जिनका दूसरा सत्र जुलाई के आखिर तक शुरू हो जाना था वह रिजल्ट आने तक अक्टूबर में ही शुरू हो पाएगा। इसमें भी यदि बीयू ने और देरी की तो इससे भी ज्यादा समय लग सकता है।
इस मामले में जीएमसी के डीन डॉ. निर्भय श्रीवास्तव का कहना है कि यदि पहले सत्र की परीक्षाएं कैलेंडर के मुताबिक सही समय पर होंगी तो आखिरी सत्र की परीक्षाएं भी जनवरी में कराई जा सकेंगी। लिहाजा स्टूडेंट को प्रीपीजी की पढ़ाई के लिए 2 महीने का समय मिलेगा जिससे उसका परफॉर्मेंस और बेहतर होगा।
ये होती है गड़बड़ी
एआईसीटीई के नियम के मुताबिक फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर के जब तक नतीजे नहीं आते तब तक स्टूडेंट सेकंड प्रोफेशनल ईयर की क्लास में नहंी बैठ सकते। ऐसे में पीएमटी, काउंसिलिंग, फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर की परीक्षाओं की तारीखें, रिजल्ट आने तक की प्रक्रिया में लेट-लतीफी से 6 से 9 महीने तक की देरी हो जाती है।
आगे क्या?
पहले सत्र में हो रही देरी से आखिरी सत्र की परीक्षाएं भी अप्रैल - मई तक पहुंचेंगी। लिहाजा स्टूडेंट ऑल इंडिया प्रीपीजी की परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे और उनका पूरा एक साल जीरो ईयर होने की आशंका बनने लगी है।
अभी जवाब नहीं
एमबीबीएस के फस्र्ट प्रोफेशनल ईयर के नतीजे अभी तक नहीं आए इस संबंध में जब बीयू की कुलपति प्रो. निशा दुबे से बात की गई तो उनका कहना था मैं अभी बाहर हूं कोई जवाब नहीं दे पाउंगी(दैनिक भास्कर,भोपाल,23.7.11)।
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