मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

08 जुलाई 2011

मानसून सत्र में नहीं आएगा उच्च शिक्षा अनुसंधान आयोग विधेयक

चिकित्सा शिक्षा को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय अड़ गया है जिसके चलते बजट सत्र की तरह मानसून सत्र में भी उच्च शिक्षा अनुसंधान आयोग विधेयक नहीं आ पाएगा। कुल मिलाकर इस विधेयक को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद आमने-सामने आ गए हैं। इसी तकरार के चलते विधेयक का मसौदा कैबिनेट में नहीं रखा जा रहा है ताकि घर की बात बाहर न लीक हो। कुल मिलाकर आजाद नहीं चाहते हैं कि चिकित्सा शिक्षा किसी दूसरे मंत्रालय में जाए जबकि सिब्बल का कहना है कि प्रस्तावित आयोग हमारे मंत्रालय के अधीन नहीं बल्कि वह अपने आप में पूरी तरह से स्वायत्तशासी होगा। बहरहाल दो मंत्रालयों की इस खींचतान में एक अच्छी सोच के तहत बनाए जा रहे उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान आयोग गठन में तमाम तरह की बाधाएं उत्पन्न हो गई है। जिसके चलते सिब्बल के मंत्रालय ने जो ड्राफ्ट नोट तैयार किया है, वह कैबिनेट में जाने से पहले ही सवालों के घेरे में आ गया है और पिछली बार की तरह इस बार भी संसद के आगामी सत्र में प्रस्तावित आयोग का विधेयक नहीं आ पाएगा। प्रस्तावित आयोग के विधेयक का अध्ययन वैसे तो कई मंत्रालयों ने किया है जिसमें सर्वाधिक आपत्ति स्वास्थ्य मंत्रालय के बाद कानून मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को थी मगर बताते है स्वास्थ्य को छोड़ अन्य दोनों मंत्रालय तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तर्क से राजी हो गए हैं मगर स्वास्थ्य मंत्रालय अभी सहमत नहीं है। उसका तर्क है कि चिकित्सा शिक्षा अभी भी किसी मंत्रालय के अधीन नहीं है बल्कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) सहित चार परिषदों के दायरे में चिकित्सा शिक्षा आती है जिसमें मेडिकल कालेज, डेंटल कालेज, नर्सिग कालेज और फाम्रेसी कालेज है। एमसीआई सहित चारों परिषदें पूरी तरह से स्वायत्त हैं ऐसे में उच्च शिक्षा अनुसंधान आयोग के अधीन चिकित्सा शिक्षा को लाने का कोई औचित्य नहीं है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,8.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।