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03 जुलाई 2011

लखनऊ विवि में अब बाहरी शिक्षक जांचेंगें कापियां

लखनऊ विविद्यालय में परीक्षकों का टोटा हो गया है। नये शैक्षिक सत्र के लिए कई शिक्षक काउंसलिंग में लग गये हैं, लेकिन अभी भी विविद्यालय में हजारों की संख्या में कापियां जांचने के लिए पड़ी हैं। बीएससी बायो ग्रुप में जुलोजी की कई हजार कापी मूल्यांकन के लिए पड़ी हैं और बीकाम की उत्तर- पुस्तिकाओं की कमोवेश यही स्थिति है, इसकी वजह से बीकाम और बीएससी का रिजल्ट घोषित होने में अभ्यर्थियों को इंतजार करना पड़ेगा। विविद्यालय ने अब परीक्षकों की कमी से निजात पाने के लिए बाहरी विविद्यालय के शिक्षकों को लगाने का निर्णय लिया है। खुद परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी ने सेल के प्रभारियों को परीक्षक जुटाने के लिए इंतजाम करने के निर्देश दिये हैं, ताकि हजारों की संख्या में बगैर मूल्यांकन के पड़ी कापियों को जंचवाया जा सके और 15 जुलाई से पहले परीक्षाफल घोषित हो सके। सूत्रों का कहना है कि बीकाम में अब सात वर्ग हो चुके हैं, कुछ वर्ग की कापियां थोक के भाव सेल में पड़ी हैं। जुलोजी के साथ बीएससी के तीन अन्य विषयों में मूल्यांकन नहीं हो पाया है और सेल में कापियां पड़ी हैं। विविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी ने बताया कि परीक्षाफल घोषित करने में हो रही देरी से निपटने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। विविद्यालय में शिक्षकों की संख्या तो बढ़ नहीं रही बल्कि महाविद्यालयों को सम्बद्धता देकर परीक्षार्थियों की संख्या खूब बढ़ी है। मूल्यांकन भी अब केन्द्रीयत होने की वजह से शिक्षकों के घरों पर कापी भेजकर जंचवायी नहीं जा सकती है। ऐसे में बाहरी विविद्यालयों के राजधानी में उपलब्ध शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी, इसके बाद भी बात नहीं बनी तो बाहरी विविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बुलाया भी जा सकता है। उनकी पूरी कोशिश जल्द से जल्द रिजल्ट देने की है, ताकि छात्र-छात्राएं परास्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए न भटकें और अंकपत्र उसमें बाधा न बने। हालांकि प्रो. त्यागी ने रिजल्ट घोषित करने की मियाद तय करने से मना कर दिया और कहा कि स्नातक अंतिम वर्ष के परीक्षाफल को जल्द घोषित करने के लिए पूरी ताकत लगायी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बीएससी के अंतिम वर्ष की कापियां नहीं जंच पायी हैं तो द्वितीय व प्रथम वर्ष के रिजल्ट कब तक आ सकेंगे, इस बारे में विविद्यालय के परीक्षा महकमे के जिम्मेदार ही बता सकेंगे, लेकिन इससे नये शैक्षिक सत्र में प्रवेश भी देर से होंगे और पूरा शैक्षिक सत्र बिगड़ने के आसार बनने लगे हैं(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,3.7.11)।

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