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07 जुलाई 2011

नालंदा विश्वविद्यालय भी इग्नू की राह पर

जरूरत पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्र्वविद्यालय की शाखाएं विदेशों में भी खोली जायेंगी। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2012 में यहां पढ़ाई शुरू हो जायेगी। फिलहाल राजगीर (नालंदा) स्थित पुराने अनुमंडल कार्यालय का जीर्णोद्धार किया गया है, जहां विश्र्वविद्यालय के मुख्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। अधिग्रहीत 467 एकड़ जमीन की बाउंड्री बनवाने के लिए राशि निर्गत की जा चुकी है। सात जुलाई 2011 को नोबेल पुरस्कार विजेता विश्र्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री अम‌र्त्यसेन राजगीर आने वाले हैं। वे विवि के कुलपति गोपा सबरवाल के साथ अधिग्रहीत जमीन देखने जायेंगे। इसके अलावा वे विवि के प्रशासनिक भवन में भी कुछ पल बीता सकते हैं। जब तक विश्र्वविद्यालय का अपना भवन तैयार नहीं हो जाता, निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर एवं अन्य सरकारी बिल्डिंगों में ही पढ़ाई शुरू कराने का प्रस्ताव है। विश्र्वविद्यालय का मुख्यालय राजगीर में होगा। एक्ट के अनुसार विश्र्वविद्यालय को चलाने के लिए कई पद सृजित किये गये हैं, जिसमें चांसलर, वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस आफिसर, बोर्ड के अन्य पांच अन्य सदस्य होंगे। विश्र्वविद्यालय के चांसलर व वाइस चांसलर को केन्द्र सरकार के विदेश मंत्रालय के सचिव स्तर का दर्जा प्राप्त होगा। इसके अलावा कमेटी में बिहार सरकार के मनोनीत दो एवं केन्द्र सरकार के तीन सदस्य होंगे। संचालन कमेटी को बिहार सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं केन्द्र सरकार के विदेश विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सहयोग करेंगे। चांसलर गवर्निग बाडी के सदस्य होंगे। चांसलर व वाइस चांसलर विजिटर द्वारा नियुक्त किये जायेंगे। रजिस्ट्रार एवं फाइनेंस अफसर की नियुक्ति नियम व शर्तो के अनुसार की जायेगी। विश्र्वविद्यालय में सात विषयों की पढ़ाई होगी, जिसमें बुद्धिष्ट सदी, हिस्टोरिकल स्टडी, इंटरनेशनल रिलेशन्स, पीस स्टडी, बिजनेस मैनेजमेंट, लैंग्वेज लिटरेचर, इकोनोमिक्स एवं इवायरमेंटल स्टडी शामिल है। विजिटर के रूप में पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम विश्र्वविद्यालय की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। अस्तित्व में आने के बाद विश्वविद्यालय का प्रबंधन देश या जरूरत पड़ने पर विदेशों में भी अपने केन्द्र खोल सकता है। बशर्ते गवर्निग बाडी की मंजूरी हो। बता दें कि विश्र्वविद्यालय की परिकल्पना तत्कालीन राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। आठ वर्ष पूर्व जब डा.कलाम हरनौत रेल कोच फैक्ट्री के शिलान्यास के मौके पर नालंदा आये थे तो उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से नालंदा विवि को पुनर्जीवित करने की चर्चा की थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने इस विचार को गंभीरता से लिया और नये कलेवर में अंतरराष्ट्रीय नालंदा विवि की स्थापना करने की पहल शुरू कर दी। सर्वप्रथम एशियाई देशों को विवि की स्थापना से जोड़ने की बात हुई। अभी तक इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं(संतोष कुमार,दैनिक जागरण,बिहारशरीफ,7.7.11)।

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