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29 जुलाई 2011

झारखंडःनिजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को नहीं मिले छात्र

राज्य के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को एडमिशन के लिए छात्र ही नहीं मिल रहे हैं। पिछले 11 दिनों से झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा सफल छात्रों की काउंसिलिंग नामकुम स्थित पर्षद कार्यालय में जारी है।

काउंसिलिंग की जो स्थिति है उससे यही लगता है कि राज्य के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति ऐसी है कि छात्र उसमें एडमिशन ही नहीं लेना चाहते। 18 जुलाई से अब तक 3,350 छात्रों की काउंसिलिंग हो चुकी है।

इसमें से मात्र 550 स्टूडेंट ही एडमिशन लिए हैं। वह भी अधिकांश छात्रों ने एक राज्य के एकमात्र प्रिमियर इंस्टीट्यूट बीआईटी सिंदरी, धनबाद में एडमिशन लिया है। अन्य निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति यह है कि किसी को सात, किसी को दो और किसी को तीन छात्र एडमिशन के लिए मिले हैं। अभी तक हुई काउंसलिंग के बाद 83 फीसदी सीटें खाली हैं।

कई कॉलेजों को अभी तक नहीं मिले हैं एक भी छात्र

कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे हैं, जहां एडमिशन के लिए एक भी स्टूडेंट नहीं आए। इनमें आरटीसी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ओरमांझी, रामचंद्र चंद्रवंशी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पलामू, निलय एजुकेशन ट्रस्ट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन ठाकुरगांव रांची, गुरु गोविंद सिंह एजुकेशनल सोसायटी चास बोकारो शामिल है।

आधारभूत संरचना में कमी है मुख्य कारण


एडमिशन नहीं लेने के पीछे छात्रों का कहना है कि यहां के इंजीनियरिंग कॉलेजों में आधारभूत संरचना की कमी है। बेहतर शिक्षक नहीं हैं। कैंपस की स्थिति भी अच्छी नहीं है। जो छात्र आ रहे हैं वे सिर्फ बीआईटी सिंदरी में एडमिशन मिल जाए इसके लिए आ रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यहां पढ़ने से अच्छा है पड़ोसी राज्य ओड़िशा में पढ़ें।

2,759 सीटें अभी भी खाली

राज्य के 10 इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 3,314 सीटें उपलब्ध हैं। पर्षद की ओर से अब तक आयोजित काउंसलिंग के बाद कुल 2,759 सीटें उपलब्ध हैं। 

काउंसिलिंग आठ तक 

झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा 2011 में स्नातक अभियंत्रण समूह के लिए काउंसिलिंग 8 अगस्त तक चलेगी। पर्षद द्वारा कुल 34,497 विद्यार्थियों की काउंसिलिंग ली जाएगी। 

नहीं ले रहे हैं जानकारी

नामकुम स्थित पर्षद के कार्यालय में जहां काउंसिलिंग चल रही है, वहां निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की ओर से अपने-अपने कॉलेजों के स्टॉल भी लगाए हैं, जहां छात्रों को कॉलेज की स्थिति की जानकारी देने की व्यवस्था है। इसके बावजूद एक भी छात्र इन स्टॉलों पर जानकारी लेने के लिए नहीं आ रहे हैं(राजीव गोस्वामी,दैनिक भास्कर,रांची,29.7.11)।

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