मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

08 जुलाई 2011

जामिया में मनमाने ढंग से छात्रों को दाखिला

अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इसलामिया में विभागीय घालमेल से आरक्षित वर्ग की सीटों के साथ खेल करने का मामला सामने आया है। इस क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन पर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी टीचर एजुकेशन पाठ्यक्रम के विकलांग व इंटरनल कोटे की सीटों को अनुचित तरीके से सामान्य वर्ग में तब्दील करने और दाखिले के लिए मनमानी संख्या में छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाने का आरोप लग रहा है। शिकायत जामिया के कुलपति नजीब जंग सहित कमिश्नर, डिसैबिलिटी व चीफ कमिश्नर फॉर पर्सन विद डिसैबिलिटी तक पहुंची तो प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
जामिया विश्वविद्यालय में डिप्लोमा इन एलिमेंटरी टीचर एजुकेशन पाठ्यक्रम की सौ सीटों के लिए दाखिला प्रक्रिया चार जुलाई को संपन्न हुई। नियमों के मुताबिक यहां दाखिले के लिए उपलब्ध सीटों की तुलना में तीन गुना अधिक छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाने का प्रावधान है, जबकि जामिया द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उक्त पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए किसी कोटे में 10 से 15 गुना ज्यादा छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। वहीं कुछ कोटे में वांछित से आधी संख्या में ही छात्रों को बुलाया गया, जबकि हिंदी पाठ्यक्रम में इंटरनल कोटे की दो सीटों व विकलांग कोटे की एक सीट के लिए एक भी छात्र को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। जामिया समुदाय के हितों के लिए कार्यरत गैर सरकारी संस्था यूनीकेयर के मुताबिक उक्त पाठ्यक्रम की सौ सीटों पर दाखिले के लिए 6427 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें से 5545 छात्रों ने हिंदी और 982 छात्रों ने उर्दू माध्यम में दाखिले के लिए आवेदन किया था। संस्था के मुताबिक प्रवेश परीक्षा में सफल छात्रों को साक्षात्कार के लिए मनमाने ढंग से आमंत्रित किया गया। हिंदी माध्यम की जनरल कोटे की 21 सीटों के लिए 49 लोगों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया, जबकि नियमानुसार 63 लोगों को इसके लिए बुलाना चाहिए था। इसी प्रकार, मुसलिम कोटे की 15 सीटों के लिए 45 के बजाय मात्र 19 छात्रों को ही आमंत्रित किया गया। उधर, मुस्लिम ओबीसी व वुमेन कोटे की 5-5 सीटों के लिए 15-15 के बजाय क्रमश: 38 और 50 छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। इसी प्रकार उर्दू माध्यम के पाठ्यक्रम की 21 सीटों पर दाखिले के लिए 63 की जगह मात्र 04 छात्रों को ही बुलाया गया, जबकि मुसलिम, मुसलिम ओबीसी व मुसलिम वुमेन की 15, 5 व 5 सीटों के लिए क्रमश: 17, 33 व 74 लोगों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। इन सीटों के लिए 45,15 व 15 लोगों को ही आमंत्रित किया जाना था। संस्था के अध्यक्ष मतलूब रजा के मुताबिक घालमेल यहीं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हिंदी माध्यम की इंटरनल कोटे की दो सीटों के लिए किसी को भी साक्षात्कार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। न ही कोई दाखिला दिया गया। बाद में इसे जनरल कोटे में परिवर्तित कर दिया गया। उर्दू माध्यम की विकलांग कोटे की एक सीट पर भी किसी को दाखिला नहीं दिया गया। इसे भी सामान्य कोटे में परिवर्तित कर दिया गया, जबकि हिंदी माध्यम के कई विकलांग छात्र दाखिले के लिए भटकते रहे। संस्था ने इस बाबत कुलपति नजीब जंग, कमिश्नर, डिसैबिलिटी व चीफ कमिश्नर फार पर्सन विद डिसैबिलिटी को पत्र लिख पूरे मामले की शिकायत की है। इस बाबत पूछने पर जामिया की मीडिया को-ऑर्डिनेटर डॉ. सिमी मल्होत्रा व एलिमेंटरी टीचर्स एजुकेशन पाठ्यक्रम के विभाग अध्यक्ष सोहराब अली ने पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही कोई बयान देने की बात कही(अविनाश चंद्र,दैनिक जागरण,दिल्ली,8.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।