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05 जुलाई 2011

काशी विद्यापीठःकुलपति ने कहा, शिक्षकों ने किया फर्जीवाड़ा

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. अवध राम ने सत्र लाभ प्राप्त शिक्षकों पर फर्जीवाड़ा एवं सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कई माह पूर्व आधा दर्जन शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके थे और सत्र लाभ में अध्यापन कर रहे थे। न्यायालय के समक्ष इन्होंने खुद को 30 जून, 2011 तक सेवा में दर्शाया है। शासन से इसकी शिकायत की गई है। विश्वविद्यालय विद्यापरिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कुलपति ने यह जानकारी दी।

बतादें काशी विद्यापीठ के एक दर्जन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति उम्र 65 वर्ष किए जाने की मांग में लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को विश्वविद्यालय प्रशासन एवं राज्य सरकार को यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। इसके चलते 01 जुलाई को नवनियुक्त शिक्षकों की ज्वाइनिंग को लेकर काफी उहापोह की स्थिति रही और विभागाध्यक्षों एवं कुलपति में नोकझोंक तक हो गई। सर्वोच्च न्यायालय में शिक्षकों द्वारा दायर की गई याचिका की प्रति का अध्ययन करनेे के बाद सोमवार को कुलपति ने शिक्षकों पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया। बातचीत में उन्होंने बताया कि प्रो. सुषमा मलहोत्रा-25 जुुलाई ‘10, प्रो. प्रेमचंद विश्वकर्मा-31 दिसंबर ‘10, डा. राजदेव प्रसाद- दो अप्रैल ‘11, प्रो. परमानंद सिंह -22 जुलाई‘10, डा. सत्य नारायण सिंह छह मई‘11 एवं डा. मुनींद्र तिवारी 31 जुलाई‘10 को सेवानिवृत्त हो चुके थे। इसके बाद सत्रलाभ में अध्यापन कर रहे थे, लेकिन न्यायालय में पेश किए गए शपथपत्र में इन्होंने खुद की सेवानिवृत्ति तिथि 30 जून 2011 बताई है। उन्होंने कहा कि इनके खिलाफ शासन एवं राज्यपाल से शिकायत की गई है और न्यायालय में सुनवाई के दौरान भी इस पक्ष को रखा जाएगा।
उत्तर प्रदेश आवासीय विश्वविद्यालय शिक्षक महासंघ के महासचिव प्रो. सोमनाथ त्रिपाठी का कहना है कि सत्रलाभ प्राप्त शिक्षकों की अधिवर्षिता आयु विस्तार प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। विद्यापीठ के कुलपति इसमें प्रमुख प्रतिवादी पक्ष हैं। अत: इस प्रकरण पर कुलपति का सार्वजनिक बयानबाजी करना न्यायालय के आदेश की आवमानना है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपति अपने कृत्यों से न्यायालय एवं राज्यपाल को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं(अमर उजाला,वाराणसी,5.7.11)।

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