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07 जुलाई 2011

किन्नरों को सरकारी नौकरी में लेने पर केंद्र को विचार करने का निर्देश

किन्नरों को सरकारी नौकरी मिलने का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि किन्नर सरकारी नौकरी के योग्य हैं।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने केंद्र को निर्देश दिए कि वे पंजाब सरकार की तर्ज पर सरकारी नौकरियों में किन्नरों के आवेदन पर विचार करे। पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा था कि मेल, फीमेल के साथ नौकरियों के लिए आवेदन में ट्रांसजेंडर का कालम भी रखा जाएगा। हाईकोर्ट ने यह फैसला एक किन्नर काजल की तरफ से दायर याचिका पर दिया है(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,7.7.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह किन्नरों की नौकरी में दावेदारी पर विचार करे। हाईकोर्ट ने यह निर्देश एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान किन्नरों को ट्रांसजेंडर श्रेणी में सरकारी नौकरियों में शामिल करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा बनाई गई नीति की सराहना करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रांसजेंडर लोग सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं। पंजाब सरकार ने कोर्ट में दायर जवाब में कहा था कि राज्य में सभी सरकारी पदों के आवेदनों में पुरुष व महिला श्रेणी के साथ ट्रांसजेंडरों के लिए भी अलग श्रेणी बनाई जाएगी। उन्हें सरकारी नौकरियों में पुरुषों की श्रेणी में रखा जाएगा। पंजाब सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में दायर किए गए जवाब में कहा है कि ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियों में दावेदारी देने के लिए अधिसूचना भी 4 मार्च, 2011 को जारी कर दी गई है। इस मामले में हरियाणा सरकार ने भी पंजाब सरकार की ही तरह किन्नरों के लिए सरकारी नौकरियों में कोई अवरोध न होने की बात कहते हुए कहा था कि सरकार किन्नरों को सरकारी नौकरियों में पुरुष श्रेणी में शामिल करेगी। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ निवासी किन्नर काजल मंगल मुखी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके सरकारी नौकरियों में किन्नरों के लिए अलग श्रेणी तय किए जाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि शिक्षित होने के बावजूद किन्नरों को शारीरिक कारणों की वजह से सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं माना जाता। इससे वे सरकारी नौकरियों से वंचित रह जाते हैं। मामले का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस अजय कुमार मित्तल की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को भी किन्नरों को सरकारी नौकरियों में दावेदार बनाने की हिदायत देते हुए कहा है कि इस मामले में पंजाब सरकार की तर्ज पर व्यवस्था बनाई जा सकती है। केंद्र ने यह कहा था हाईकोर्ट में : किन्नरों के लिए आरक्षण की मांग को वाजिब नहीं मानते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि नपुंसकता को विकलांगता नहीं माना जा सकता। इसलिए नपुंसकता से ग्रसित लोगों को पर्सन्स विद डिस्एबिलिटी•ा एक्ट, 1985 के तहत आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। दूसरी तरफ केंद्रीय कार्मिक विभाग ने कहा कि केंद्र सरकार की सेवाओं में किन्नरों की सेवा पर कोई रोक नहीं है।

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